कोई पाबंद-ए-मोहब्बत ही बता सकता है; एक दीवाने का ज़ंजीर से रिश्ता क्या है! |
है मेरे पहलू में और मुझ को नज़र आता नहीं; उस परी का सेहर यारो कुछ कहा जाता नहीं! * सेहर - सम्मोहन, जादू |
आँख पर-नमी मगर मुस्कुराहट मेरी; कह रही थी कहानी मेरे इश्क़ की! |
जहाँ उन को उन के इशारों को देखा; वहीं दिल की साज़िश के मारों को देखा! |
हुए ज़लील तो इज़्ज़त की जुस्तुजू क्या है; किया जो इश्क़ तो फिर पास-ए-आबरू क्या है! |
फिर से तेरे नुक़ूश नज़र पे अयाँ हुए; लो फिर विसाल-ए-यार के लम्हे जवाँ हुए! *नुक़ूश: रेखाएँ *अयाँ: स्पष्ट, प्रत्यक्ष |
दिल पे जज़्बों का राज है साहब; इश्क़ अपना मिज़ाज है साहब! |
लोग कहते हैं कि तू अब भी ख़फ़ा है मुझ से; तेरी आँखों ने तो कुछ और कहा है मुझ से! |
उस की सूरत का तसव्वुर दिल में जब लाते हैं हम; ख़ुद-ब-ख़ुद अपने से हमदम आप घबराते हैं हम! |
जब मोहब्बत का किसी शय पे असर हो जाए; एक वीरान मकाँ बोलता घर हो जाए! |