कभू रोना कभू हँसना कभू हैरान हो जाना; मोहब्बत क्या भले-चंगे को दीवाना बनाती है! |
अज़ीज़ इतना ही रक्खो कि जी सँभल जाए; अब इस क़दर भी न चाहो कि दम निकल जाए! |
लफ्ज पूरे `ढाई` ही थे; कभी 'प्यार' बन गए तो कभी 'ख्वाब'! |
चालाकियां नहीं आतीं मुझे, तुझे रिझाने की; मेरी सादगी पसंद आये तो बात आगे बढ़ाना! |
इश्क़ इबादत है, छोड़िये, आप ना कर सकेंगे; होशो हवास में दिन को रात, रात को दिन ना कह सकेंगे! |
तेरे इश्क़ की इंतेहा चाहता हूँ; मेरी सादगी देख क्या चाहता हूँ! |
तेरा ख़याल तेरी तलब और तेरी आरज़ू; इक भीड़ सी लगी है मेरे दिल के शहर में। |
अपनी मोहब्बत पे फक़त इतना भरोसा है मुझे; मेरी वफायें तुझे किसी और का होने न देंगी। |
एक उम्र बीत चली है तुझे चाहते हुए; तू आज भी बेखबर है कल की तरह। |
खड़े-खड़े साहिल पर हमने शाम कर दी, अपना दिल और दुनिया आप के नाम कर दी; ये भी न सोचा कैसे गुज़रेगी ज़िंदगी, बिना सोचे-समझे हर ख़ुशी आपके नाम कर दी |