वो आये बज़्म में इतना तो मीर ने देखा; फिर उसके बाद चिरागो में रौशनी ही नहीं रही! |
तुम मेरे हो ऐसी हम जिद नही करेंगे; मगर हम तुम्हारे ही रहेंगे ये तो हम हक से कहेंगे! |
न जाने कौन सा आसब दिल में बसता है; के जो भी ठहरा वो आखिर मकान छोड़ गया! |
नाराज़गी भी एक खूबसूरत रिश्ता है; जिससे होती है, वह व्यक्ति दिल और दिमाग, दोनों में रहता है। |
कई जन्मों से तेरे पीछे चलते रहे हैं हम, होते हुए तरल भी पिघलते रहे हैं हम, तू हो के व्यस्त भूल गया वादे हजार कर के, तेरी बेरुखी की आग में जलते रहे हैं हम। |
ये व्यक्तित्व की गरिमा है, कि फूल कुछ नही कहते, वरना कभी ,कांटों को, मसलकर दिखाईये! |
सच्चाई के इस जंग मे, कभी झूठे भी जीत जाते है; समय अपना अच्छा न हो तो, कभी अपने भी बिक जाते है! |
मेह वो क्यों बहुत पीते बज़्म-ऐ-ग़ैर में या रब; आज ही हुआ मंज़ूर उन को इम्तिहान अपना, मँज़र इक बुलंदी पर और हम बना सकते `ग़ालिब`; अर्श से इधर होता काश के माकन अपना! |
किमतें गिर गई मोहब्बत की, चलो कोई दूसरा कारोबार करते है! |
जुबाँ न भी बोले तो, मुश्किल नहीं; फिक्र तब होती है जब, खामोशी भी बोलना छोड़ दें| |