गिला शिकवा Hindi Shayari

  • वो आये बज़्म में इतना तो मीर ने देखा;<br/>
फिर उसके बाद चिरागो में रौशनी ही नहीं रही!
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    वो आये बज़्म में इतना तो मीर ने देखा;
    फिर उसके बाद चिरागो में रौशनी ही नहीं रही!
    ~ Mir Taqi Mir
  • तुम मेरे हो ऐसी हम जिद नही करेंगे;<br/>

मगर हम तुम्हारे ही रहेंगे ये तो हम हक से कहेंगे!Upload to Facebook
    तुम मेरे हो ऐसी हम जिद नही करेंगे;
    मगर हम तुम्हारे ही रहेंगे ये तो हम हक से कहेंगे!
  • न जाने कौन सा आसब दिल में बसता है;<br/>
के जो भी ठहरा वो आखिर मकान छोड़ गया!
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    न जाने कौन सा आसब दिल में बसता है;
    के जो भी ठहरा वो आखिर मकान छोड़ गया!
    ~ Parveen Shakir
  • नाराज़गी भी एक खूबसूरत रिश्ता है;<br/>

जिससे होती है, वह व्यक्ति दिल और दिमाग, दोनों में रहता है।
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    नाराज़गी भी एक खूबसूरत रिश्ता है;
    जिससे होती है, वह व्यक्ति दिल और दिमाग, दोनों में रहता है।
  • कई जन्मों से तेरे पीछे चलते रहे हैं हम,<br/>

होते हुए तरल भी पिघलते रहे हैं हम,<br/>

तू हो के व्यस्त भूल गया वादे हजार कर के,<br/>

तेरी बेरुखी की आग में जलते रहे हैं हम।Upload to Facebook
    कई जन्मों से तेरे पीछे चलते रहे हैं हम,
    होते हुए तरल भी पिघलते रहे हैं हम,
    तू हो के व्यस्त भूल गया वादे हजार कर के,
    तेरी बेरुखी की आग में जलते रहे हैं हम।
  • ये व्यक्तित्व की गरिमा है, कि फूल कुछ नही कहते,<br/>
वरना कभी ,कांटों को, मसलकर दिखाईये!Upload to Facebook
    ये व्यक्तित्व की गरिमा है, कि फूल कुछ नही कहते,
    वरना कभी ,कांटों को, मसलकर दिखाईये!
  • सच्चाई के इस जंग मे, कभी झूठे भी जीत जाते है;<br/>
समय अपना अच्छा न हो तो, कभी अपने भी बिक जाते है!
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    सच्चाई के इस जंग मे, कभी झूठे भी जीत जाते है;
    समय अपना अच्छा न हो तो, कभी अपने भी बिक जाते है!
  • मेह वो क्यों बहुत पीते बज़्म-ऐ-ग़ैर में या रब;<BR/>
आज ही हुआ मंज़ूर उन को इम्तिहान अपना,<BR/>
मँज़र इक बुलंदी पर और हम बना सकते `ग़ालिब`;<BR/>
अर्श से इधर होता काश के माकन अपना!
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    मेह वो क्यों बहुत पीते बज़्म-ऐ-ग़ैर में या रब;
    आज ही हुआ मंज़ूर उन को इम्तिहान अपना,
    मँज़र इक बुलंदी पर और हम बना सकते `ग़ालिब`;
    अर्श से इधर होता काश के माकन अपना!
  • किमतें गिर गई मोहब्बत की,<br/>
चलो कोई दूसरा कारोबार करते है!Upload to Facebook
    किमतें गिर गई मोहब्बत की,
    चलो कोई दूसरा कारोबार करते है!
  • जुबाँ न भी बोले तो, मुश्किल नहीं;<br/>
फिक्र तब होती है जब, खामोशी भी बोलना छोड़ दें|Upload to Facebook
    जुबाँ न भी बोले तो, मुश्किल नहीं;
    फिक्र तब होती है जब, खामोशी भी बोलना छोड़ दें|