गिला शिकवा Hindi Shayari

  • देखकर पलकें मेरी कहने लगा कोई फक़ीर,<br/>
इन पे बरख़ुरदार सपनों का वज़न कुछ कम करो!Upload to Facebook
    देखकर पलकें मेरी कहने लगा कोई फक़ीर,
    इन पे बरख़ुरदार सपनों का वज़न कुछ कम करो!
  • रेत की दीवार हूँ गिरने से बचा ले मुझको;<br/>
यूँ न कर तेज़ हवाओं के हवाले मुझको;<br/>
आ मेरे पास ज़रा देख मोहब्बत से मुझे;<br/>
मैं बुरा हूँ तो भलाई से निभा ले मुझको!Upload to Facebook
    रेत की दीवार हूँ गिरने से बचा ले मुझको;
    यूँ न कर तेज़ हवाओं के हवाले मुझको;
    आ मेरे पास ज़रा देख मोहब्बत से मुझे;
    मैं बुरा हूँ तो भलाई से निभा ले मुझको!
  • अर्ज़-ए-अहवाल को गिला समझे;<br/>
क्या कहा मैंने आप क्या समझे|Upload to Facebook
    अर्ज़-ए-अहवाल को गिला समझे;
    क्या कहा मैंने आप क्या समझे|
    ~ Daagh Dehlvi
  • क्या बेचकर हम खरीदें फुर्सत-ए-जिंदगी;<br/>
सब कुछ तो गिरवी पड़ा है जिम्मेदारी के बाजार में।Upload to Facebook
    क्या बेचकर हम खरीदें फुर्सत-ए-जिंदगी;
    सब कुछ तो गिरवी पड़ा है जिम्मेदारी के बाजार में।
  • एक सुकून की तालाश में, ना जाने कितनी बेचैनियाँ पाल ली;<br/>
और लोग कहते हैं, हम बड़े हो गये और ज़िन्दगी संभाल ली।Upload to Facebook
    एक सुकून की तालाश में, ना जाने कितनी बेचैनियाँ पाल ली;
    और लोग कहते हैं, हम बड़े हो गये और ज़िन्दगी संभाल ली।
  • किस नाज़ से कहते हैं वो झुंजला के शब-ए-वस्ल;<br/>
तुम तो हमें करवट भी बदलने नहीं देते।<br/><br/>

शब-ए-वस्ल  =   मिलन की रातUpload to Facebook
    किस नाज़ से कहते हैं वो झुंजला के शब-ए-वस्ल;
    तुम तो हमें करवट भी बदलने नहीं देते।

    शब-ए-वस्ल = मिलन की रात
    ~ Akbar Allahabadi
  • किसी को घर से निकलते ही मिल गई मंज़िल;<br/>
कोई हमारी तरह उम्र भर सफ़र में रहा!Upload to Facebook
    किसी को घर से निकलते ही मिल गई मंज़िल;
    कोई हमारी तरह उम्र भर सफ़र में रहा!
  • अर्ज़-ओ-समा कहाँ तिरी वुसअत को पा सके;<br/>
मेरा ही दिल है वो कि जहाँ तू समा सके!<br/><br/>

अर्ज़-ओ-समा  =  धरती और आकाश<br/>  
वुसअत  =  विशालता, सम्पूर्णताUpload to Facebook
    अर्ज़-ओ-समा कहाँ तिरी वुसअत को पा सके;
    मेरा ही दिल है वो कि जहाँ तू समा सके!

    अर्ज़-ओ-समा = धरती और आकाश
    वुसअत = विशालता, सम्पूर्णता
    ~ Khwaja Mir Dard
  • अगर इश्क करो तो आदाब-ए-वफ़ा भी सीखो;<br/>
ये चंद दिन की बेकरारी मोहब्बत नहीं होती!Upload to Facebook
    अगर इश्क करो तो आदाब-ए-वफ़ा भी सीखो;
    ये चंद दिन की बेकरारी मोहब्बत नहीं होती!
  • आज गुमनाम हूँ तो ज़रा फासला रख मुझसे;<br/>
कल फिर मशहूर हो जाऊँ तो कोई रिश्ता निकाल लेना!Upload to Facebook
    आज गुमनाम हूँ तो ज़रा फासला रख मुझसे;
    कल फिर मशहूर हो जाऊँ तो कोई रिश्ता निकाल लेना!