गिला शिकवा Hindi Shayari

  • आप पहलू में जो बैठें तो सँभल कर बैठें;<br/>
दिल-ए-बेताब को आदत है मचल जाने की!<br/><br/>



दिल-ए-बेताब  =  बेचैन दिलUpload to Facebook
    आप पहलू में जो बैठें तो सँभल कर बैठें;
    दिल-ए-बेताब को आदत है मचल जाने की!

    दिल-ए-बेताब = बेचैन दिल
    ~ Jaleel Manikpuri
  • पसंद आ गए हैं कुछ लोगों को हम;<br/>
कुछ लोगों को ये बात पसंद नहीं आयी।Upload to Facebook
    पसंद आ गए हैं कुछ लोगों को हम;
    कुछ लोगों को ये बात पसंद नहीं आयी।
  • दिल की बिसात क्या थी निगाह-ए-जमाल में;<br/>
इक आइना था टूट गया देख-भाल में!
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    दिल की बिसात क्या थी निगाह-ए-जमाल में;
    इक आइना था टूट गया देख-भाल में!
    ~ Seemab Akbarabadi
  • मज़हब, दौलत, ज़ात, घराना, सरहद, ग़ैरत, खुद्दारी;<br/>
एक मोहब्बत की चादर को, कितने चूहे कुतर गए।Upload to Facebook
    मज़हब, दौलत, ज़ात, घराना, सरहद, ग़ैरत, खुद्दारी;
    एक मोहब्बत की चादर को, कितने चूहे कुतर गए।
  • नजर अदांज करने की कुछ तो वजह बताई होती;<br/>
अब मैं कहाँ-कहाँ खुद में बुराई खोज सकता हूँ।Upload to Facebook
    नजर अदांज करने की कुछ तो वजह बताई होती;
    अब मैं कहाँ-कहाँ खुद में बुराई खोज सकता हूँ।
  • मुकम्मल ना सही अधूरा ही रहने दो;<br/>
ये इश्क़ है कोई मक़सद तो नहीं।Upload to Facebook
    मुकम्मल ना सही अधूरा ही रहने दो;
    ये इश्क़ है कोई मक़सद तो नहीं।
  • इल्म-ओ-अदब के सारे खज़ाने गुज़र गए,<br/>
क्या खूब थे वो लोग पुराने गुज़र गए;<br/>
बाकी है जमीं पे फ़कत आदमी की भीड़,<br/>
इंसान को मरे हुए तो ज़माने गुज़र गए।Upload to Facebook
    इल्म-ओ-अदब के सारे खज़ाने गुज़र गए,
    क्या खूब थे वो लोग पुराने गुज़र गए;
    बाकी है जमीं पे फ़कत आदमी की भीड़,
    इंसान को मरे हुए तो ज़माने गुज़र गए।
  • न माँझी, न रहबर, न हक में हवायें;<br/>
है कश्ती भी जर्जर, ये कैसा सफर है;<br/>
अलग ही मजा है, फ़कीरी का अपना;<br/>
न पाने की चिन्ता न खोने का डर है।Upload to Facebook
    न माँझी, न रहबर, न हक में हवायें;
    है कश्ती भी जर्जर, ये कैसा सफर है;
    अलग ही मजा है, फ़कीरी का अपना;
    न पाने की चिन्ता न खोने का डर है।
  • जादू है या तिलिस्म तुम्हारी ज़बान में;<br/>
तुम झूठ कह रहे थे मुझे ऐतबार था।Upload to Facebook
    जादू है या तिलिस्म तुम्हारी ज़बान में;
    तुम झूठ कह रहे थे मुझे ऐतबार था।
    ~ Bekhud Dehlvi
  • और कोई गम नहीं एक तेरी जुदाई के सिवा;<br/>
मेरे हिस्से में क्या आया तन्हाई के सिवा;<br/>
यूँ तो मिलन की रातें मिली बेशुमार;<br/>
प्यार में सब कुछ मिला शहनाई के सिवा।Upload to Facebook
    और कोई गम नहीं एक तेरी जुदाई के सिवा;
    मेरे हिस्से में क्या आया तन्हाई के सिवा;
    यूँ तो मिलन की रातें मिली बेशुमार;
    प्यार में सब कुछ मिला शहनाई के सिवा।