न जाने कौन सा आसब दिल में बसता है, के जो भी ठहरा वो आखिर मकान छोड़ गया! |
कदम-कदम पे नया इम्तहान रखती है; जिंदगी तू भी मेरा कितना ध्यान रखती है! |
आज पी लेने दे साक़ी मुझे जी लेने दे; कल मिरी रात ख़ुदा जाने कहाँ गुज़रेगी! |
बारिश की तरह कोई बरसता रहे मुझ पर; मिट्टी की तरह मैं भी महकती चली जाऊंगी! |
अच्छा है दिल के साथ रहे पासबान-ए-अक़्ल; लेकिन कभी कभी इसे तन्हा भी छोड़ दे! |
पतझड़ की कहानियाँ सुना सुना के उदास ना कर, नए मौसमों का पता बता, जो गुज़र गया सो गुज़र गया! |
कुछ इस तरह अपने दिल को बेवकूफ बनाता हूँ मैं; कि तुमसे बिछड़ते वक़्त भी खुल के मुस्कुराता हूँ मैं। |
पानी पानी कर गयी मुझको कलंदर की वो बात; तू झुका जो ग़ैर के आगे न तन तेरा न मन तेरा! |
ऐसा नहीं देखा कहीं हाल किसी और का; पहलू में कोई और ख्याल और किसी का! |
मैं नादान था जो वफ़ा को तलाश करता रहा ग़ालिब; यह न सोचा के एक दिन अपनी साँस भी बेवफा हो जाएगी! |