एक बार फिर से निकलेंगे तलाश-ए-इश्क़ में; दुआ करो यारो इस बार कोई बेवफ़ा न मिले! |
कभी हम भी इसके क़रीब थे; दिलो जान से बढ़ कर अज़ीज थे; मगर आज ऐसे मिला है वो; कभी पहले जैसे मिला ना हो। |
ज़ख़्म जब मेरे सिने के भर जाएँगे; आँसू भी मोती बनकर बिखर जाएँगे; ये मत पूछना किस किस ने धोखा दिया; वरना कुछ अपनो के चेहरे उतर जाएँगे। |
चेहरों के लिए आईने कुर्बान किये है; इस शौक में अपने बड़े नुकसान किये है; महफ़िल में मुझे गालियाँ देकर है बहुत खुश; जिस शख्स पर मैंने बड़े एहसान किये है। |
हुनर अब आ गया मुझको वफाओं को परखने का; दिखावे की हर एक चाहत मैं वापिस मोड़ देता हूँ। |
एक तेरी खातिर परेशाँ हूँ मैं; टूटे दिलों की जुबाँ हूँ मैं; तूने ठुकराया जिसको अपनाकर; उसी दीवाने का गुमां हूँ मैं। |
ऐ दिल थोड़ी सी हिम्मत कर ना यार: दोनों मिल कर उसे भूल जाते है। |
उसने महबूब ही तो बदला है फिर ताज्जुब कैसा; दुआ कबूल ना हो तो लोग खुदा तक बदल लेते है! |
कदम यूँ ही डगमगा गए रास्ते में; वैसे संभालना हम भी जानते थे; ठोकर भी लगी तो उसी पत्थर से; जिसे हम अपना मानते थे। |
एक इंसान मिला जो जीना सिखा गया; आंसुओं की नमी को पीना सिखा गया; कभी गुज़रती थी वीरानों में ज़िंदगी; वो शख्स वीरानों में महफ़िल सजा गया। |