नहीं नहीं हमें अब तेरी जुस्तुजू भी नहीं; तुझे भी भूल गए हम तेरी ख़ुशी के लिए! |
हम कहीं भी हों मगर ये छुट्टियाँ रह जाएँगी; फूल सब ले जाएँगे पर पत्तियाँ रह जाएँगी! |
हमेशा पूछती रहती है रास्तों की हवा; यूँ ही रुके हो यहाँ या किसी ने रोका था! |
आँख पर-नमी मगर मुस्कुराहट मेरी; कह रही थी कहानी मेरे इश्क़ की! |
हम से क्या हो सका मोहब्बत में; ख़ैर तुम ने तो बेवफ़ाई की! |
आज उस ने हँस के यूँ पूछा मिज़ाज; उम्र भर के रंज-ओ-ग़म याद आ गए! |
अब हवाएँ ही करेंगी रौशनी का फैंसला; जिस दिये में जान होगी वो दिया रह जायेगा! |
अच्छा ख़ासा बैठे बैठे गुम हो जाता हूँ; अब मैं अक्सर मैं नहीं रहता तुम हो जाता हूँ! |
मुन्तज़िर हूँ तेरी आवाज़ से तस्वीर तलक; एक वक़्फ़ा ही तो दरकार था मिलने के लिए! |
ऐ ख़ुदा कैसा समय आया है; शहर में हर सू धुआँ छाया है! *सू - दिशा, तरफ |