मैं कई बरसों से तेरी जुस्तुजू करती रही; इस सफ़र में आरज़ूओं का लहू करती रही! |
खोया खोया उदास सा होगा; तुम से वो शख़्स जब मिला होगा! |
जहाँ उन को उन के इशारों को देखा; वहीं दिल की साज़िश के मारों को देखा! |
आँधियाँ गम की चली और कर्ब-बादल छा गए; तुझ से कैसे हो मिलन सब रास्ते धुँदला गए! |
दर्द ऐसा है कि जी चाहे है जिंदा रहिए; ज़िंदगी ऐसी कि मर जाने को जी चाहे है! |
सफर का शौक न मंजिल की जुस्तुजू बाक़ी; मुसाफिरों के बदन में नहीं लहू बाक़ी! |
ख़्वाब का अक्स कहाँ ख़्वाब की ताबीर में है; मुझ को मालूम है जो कुछ मेरी तक़दीर में है! |
हो जाएगी जब तुम से शनासाई ज़रा और; बढ़ जाएगी शायद मेरी तन्हाई ज़रा और! |
हमारे सब्र का इक इम्तिहान बाक़ी है; इसी लिए तो अभी तक ये जान बाक़ी है! |
दुख अपना अगर हम को बताना नहीं आता; तुम को भी तो अंदाज़ा लगाना नहीं आता! |