इज़हार Hindi Shayari

  • झूठ कहूँ तो लफ़्ज़ों का दम घुटता है,<br/>
सच कहूँ तो लोग खफा हो जाते हैं!Upload to Facebook
    झूठ कहूँ तो लफ़्ज़ों का दम घुटता है,
    सच कहूँ तो लोग खफा हो जाते हैं!
  • शाम-ए-ग़म कुछ उस निग़ाह-ए-नाज़ की बातें करो;<br/>
बेखुदी बढ़ती चली है, राज़ की बातें करो!Upload to Facebook
    शाम-ए-ग़म कुछ उस निग़ाह-ए-नाज़ की बातें करो;
    बेखुदी बढ़ती चली है, राज़ की बातें करो!
    ~ Firaq Gorakhpuri
  • बहुत शौक था मुझे सबको जोडकर रखने का,<br/>
होश तब आया जब खुद के वजूद के टुकडे हो गये।Upload to Facebook
    बहुत शौक था मुझे सबको जोडकर रखने का,
    होश तब आया जब खुद के वजूद के टुकडे हो गये।
  • आगे आती थी हाल-ए-दिल पर हंसी;<br/>
अब किसी बात पर नहीं आती!

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    आगे आती थी हाल-ए-दिल पर हंसी;
    अब किसी बात पर नहीं आती!
    ~ Mirza Ghalib
  • आह को चाहिये इक उम्र असर होने तक;<br/>
कौन जीता है तेरी ज़ुल्फ़ के सर होने तक!Upload to Facebook
    आह को चाहिये इक उम्र असर होने तक;
    कौन जीता है तेरी ज़ुल्फ़ के सर होने तक!
    ~ Mirza Ghalib
  • कपड़े से तो, परदा होता है साहब;<br/>
हिफाज़त तो, निगाहों से होती है|Upload to Facebook
    कपड़े से तो, परदा होता है साहब;
    हिफाज़त तो, निगाहों से होती है|
  • जवानी हो ग़र जावेदानी तो यारब;<br/>
तेरी सादा दुनिया को जन्नत बना दें!Upload to Facebook
    जवानी हो ग़र जावेदानी तो यारब;
    तेरी सादा दुनिया को जन्नत बना दें!
    ~ Akhtar Sheerani
  • हमरा नाम भी वो लेंगे लेकिन;<br/>
हमारा ज़िक्र सबके बाद होगा!Upload to Facebook
    हमरा नाम भी वो लेंगे लेकिन;
    हमारा ज़िक्र सबके बाद होगा!
    ~ Anand Bakshi
  • सरकता जाये है रुख से नक़ाब आहिस्ता-आहिस्ता;<br/>
निकलता आ रहा है आफ़्ताब आहिस्ता-आहिस्ता!Upload to Facebook
    सरकता जाये है रुख से नक़ाब आहिस्ता-आहिस्ता;
    निकलता आ रहा है आफ़्ताब आहिस्ता-आहिस्ता!
    ~ Ameer Minai
  • वो कभी मिल जाये मुझको अपनी साँसों के करीब;<br/>
होंठ को जुंबिश न दूँ और ग़ुफ्त-ग़ू सारी करूँ!Upload to Facebook
    वो कभी मिल जाये मुझको अपनी साँसों के करीब;
    होंठ को जुंबिश न दूँ और ग़ुफ्त-ग़ू सारी करूँ!
    ~ Zafar Gorakhpuri