इश्क Hindi Shayari

  • अज़ीज़ इतना ही रखो कि जी सँभल जाए;</br>
अब इस क़दर भी न चाहो कि दम निकल जाए!</br>
~ उबैदुल्लाह अलीम</br>
'अज़ीज़</br>
*दोस्त, प्रिय, प्यारा,Upload to Facebook
    अज़ीज़ इतना ही रखो कि जी सँभल जाए;
    अब इस क़दर भी न चाहो कि दम निकल जाए!
    ~ उबैदुल्लाह अलीम
    'अज़ीज़
    *दोस्त, प्रिय, प्यारा,
    ~ Obaidullah Aleem
  • ख़बर-ए-तहय्युर-ए-इश्क़ सुन न जुनूँ रहा न परी रही,</br>
न तो तू रहा न तो मैं रहा जो रही सो बे-ख़बरी रही;</br>
शह-ए-बे-ख़ुदी ने अता किया मुझे अब लिबास-ए-बरहनगी,</br>
न ख़िरद की बख़िया-गरी रही न जुनूँ की पर्दा-दरी रही!Upload to Facebook
    ख़बर-ए-तहय्युर-ए-इश्क़ सुन न जुनूँ रहा न परी रही,
    न तो तू रहा न तो मैं रहा जो रही सो बे-ख़बरी रही;
    शह-ए-बे-ख़ुदी ने अता किया मुझे अब लिबास-ए-बरहनगी,
    न ख़िरद की बख़िया-गरी रही न जुनूँ की पर्दा-दरी रही!
    ~ Siraj Aurangabadi
  • ढल चुकी रात मुलाक़ात कहाँ सो जाओ;</br>
सो गया सारा जहाँ सारा जहाँ सो जाओ!Upload to Facebook
    ढल चुकी रात मुलाक़ात कहाँ सो जाओ;
    सो गया सारा जहाँ सारा जहाँ सो जाओ!
    ~ Javed Kamal Rampuri
  • `शहर में अपने ये लैला ने मुनादी कर दी,</br>
कोई पत्थर से न मारे मेंरे दीवाने को।`Upload to Facebook
    "शहर में अपने ये लैला ने मुनादी कर दी,
    कोई पत्थर से न मारे मेंरे दीवाने को।"
  • `ये जब्र भी देखा है तारीख़ की नज़रों ने,</br>
लम्हों ने ख़ता की थी, सदियों ने सज़ा पाई।`Upload to Facebook
    "ये जब्र भी देखा है तारीख़ की नज़रों ने,
    लम्हों ने ख़ता की थी, सदियों ने सज़ा पाई।"
    ~ Muzaffar Razmi
  • क़ासिद के आते आते ख़त एक और लिख रखूँ;</br>
मैं जानता हूँ जो वो लिखेंगे जवाब में!Upload to Facebook
    क़ासिद के आते आते ख़त एक और लिख रखूँ;
    मैं जानता हूँ जो वो लिखेंगे जवाब में!
    ~ Mirza Ghalib
  • ईद का दिन है, गले आज तो मिल ले ज़ालिम;</br>
रस्म-ए-दुनिया भी है, मौक़ा भी है, दस्तूर भी है।Upload to Facebook
    ईद का दिन है, गले आज तो मिल ले ज़ालिम;
    रस्म-ए-दुनिया भी है, मौक़ा भी है, दस्तूर भी है।
    ~ Qamar Badayuni
  • मैं उस के बदन की मुक़द्दस किताब;</br>
निहायत अक़ीदत से पढ़ता रहा!</br>
*मुक़द्दस: पवित्र</br>
*अक़ीदत: श्रद्धाUpload to Facebook
    मैं उस के बदन की मुक़द्दस किताब;
    निहायत अक़ीदत से पढ़ता रहा!
    *मुक़द्दस: पवित्र
    *अक़ीदत: श्रद्धा
    ~ Mohammed Alvi
  • अब जो एक हसरत-ए-जवानी है;</br>
उम्र-ए-रफ़्ता की ये निशानी है!Upload to Facebook
    अब जो एक हसरत-ए-जवानी है;
    उम्र-ए-रफ़्ता की ये निशानी है!
    ~ Mir Taqi Mir
  • भाँप ही लेंगे इशारा सर-ए-महफ़िल जो किया;</br>
ताड़ने वाले क़यामत की नज़र रखते हैं।Upload to Facebook
    भाँप ही लेंगे इशारा सर-ए-महफ़िल जो किया;
    ताड़ने वाले क़यामत की नज़र रखते हैं।
    ~ Lala Madhav Ram Jauhar