आइना देख कर तसल्ली हुई; हमको इस घर में जानता है कोई! |
एक ख्याल ही तो हूँ मैं... याद रह जाऊँ... तो याद रखना; वरना सौ बहाने मिलेंगे... भूल जाना मुझे! |
किसी भी मुश्किल का अब किसी को हल नहीं मिलता; शायद अब घर से कोई माँ के पैर छूकर नहीं निकलता। |
माँ तेरे दूध का हक मुझसे अदा क्या होगा; तू है नाराज तो खुश मुझसे खुदा क्या होगा! |
सारी जिंदगी रखा है रिश्तों का भरम मैंने, लेकिन सच तो यह है कि... खुद के सिवा कोई अपना नहीं होता! |
देख कर आइना तसल्ली हुई; हम को इस घर में जानता है कोई! |
लफ़्ज़ों का इस्तेमाल हिफाज़त से करिये; ये परवरिश का बेहतरीन सबूत होते हैं! |
फलसफा समझो न असरारे सियासत समझो, जिन्दगी सिर्फ हकीक़त है हकीक़त समझो; जाने किस दिन हो हवायें भी नीलाम यहाँ, आज तो साँस भी लेते हो ग़नीमत समझो। |
जाने वो कैसे मुकद्दर की किताब लिख देता है, साँसे गिनती की, और ख्वाहिशें बेहिसाब लिख देता है! |
जो किताबों में है वो सब का है, तू बता तेरा तजरबा क्या है! |