रिश्ते बनाना इतना आसान जैसे, 'मिट्टी' पर 'मिट्टी' से "मिट्टी" लिखना; लेकिन रिश्ते निभाना उतना ही मुश्किल जैसे, 'पानी' पर 'पानी' से "पानी" लिखना! |
तुम्हें सिर्फ ठेला दिखता है सड़क पर साहब, हक़ीक़त में वो अपना पूरा घर खींचता है! |
तमाम लोगों को अपनी अपनी मंजिल मिल चुकी, कमबख्त हमारा दिल है, कि अब भी सफर में है। |
बरसात का बादल तो दीवाना है क्या जाने; किस राह से बचना है किस छत को भिगोना है! |
वो इत्र-दान सा लहजा मेरे बुज़ुर्गों का; रची-बसी हुई उर्दू ज़बान की ख़ुश्बू! |
इबादतखानो में क्या ढूंढते हो मुझे; मैं वहाँ भी हूँ, जहाँ तुम गुनाह करते हो! |
ईमां गलत, उसूल गलत, इद्देआ गलत; इन्सां की दिलदेही अगर इन्सां न कर सके! ईमां = धर्म, मजहब इद्देआ = इच्छा, चाह दिलदेही = दिलासा, सांत्वना, ढाढस |
हम भी दरिया हैं हमें, अपना हुनर मालूम है; जिस तरफ भी चल पड़ेंगे रास्ता हो जायेगा। |
शरीर के लड़खड़ाने पे तो सबकी है नज़र; सिर पर है कितना बोझ, कोई देखता नहीं। |
दिल दिया जिस ने किसी को वो हुआ साहेब-ए-दिल; हाथ आ जाती है खो देने से दौलत दिल की! |