इश्क Hindi Shayari

  • हुए ज़लील तो इज़्ज़त की जुस्तुजू क्या है;<br/>
किया जो इश्क़ तो फिर पास-ए-आबरू क्या है!Upload to Facebook
    हुए ज़लील तो इज़्ज़त की जुस्तुजू क्या है;
    किया जो इश्क़ तो फिर पास-ए-आबरू क्या है!
    ~ Tahseen Dehlvi
  • फिर से तेरे नुक़ूश नज़र पे अयाँ हुए;<br/>
लो फिर विसाल-ए-यार के लम्हे जवाँ हुए!<br/><br/>
*नुक़ूश: रेखाएँ<br/>
*अयाँ: स्पष्ट, प्रत्यक्षUpload to Facebook
    फिर से तेरे नुक़ूश नज़र पे अयाँ हुए;
    लो फिर विसाल-ए-यार के लम्हे जवाँ हुए!

    *नुक़ूश: रेखाएँ
    *अयाँ: स्पष्ट, प्रत्यक्ष
    ~ Qamar Naqvi
  • दिल पे जज़्बों का राज है साहब;<br/>
इश्क़ अपना मिज़ाज है साहब!Upload to Facebook
    दिल पे जज़्बों का राज है साहब;
    इश्क़ अपना मिज़ाज है साहब!
    ~ Lubna Safdar
  • लोग कहते हैं कि तू अब भी ख़फ़ा है मुझ से;<br/>
तेरी आँखों ने तो कुछ और कहा है मुझ से!Upload to Facebook
    लोग कहते हैं कि तू अब भी ख़फ़ा है मुझ से;
    तेरी आँखों ने तो कुछ और कहा है मुझ से!
    ~ Jaan Nisar Akhtar
  • उस की सूरत का तसव्वुर दिल में जब लाते हैं हम;<br/>
ख़ुद-ब-ख़ुद अपने से हमदम आप घबराते हैं हम!Upload to Facebook
    उस की सूरत का तसव्वुर दिल में जब लाते हैं हम;
    ख़ुद-ब-ख़ुद अपने से हमदम आप घबराते हैं हम!
    ~ Ghamgeen Dehlvi
  • जब मोहब्बत का किसी शय पे असर हो जाए;<br/>
एक वीरान मकाँ बोलता घर हो जाए!Upload to Facebook
    जब मोहब्बत का किसी शय पे असर हो जाए;
    एक वीरान मकाँ बोलता घर हो जाए!
    ~ Darvesh Bharti
  • जो चाहते हो सो कहते हो चुप रहने की लज़्ज़त क्या जानो;<br/>
ये राज़-ए-मोहब्बत है प्यारे तुम राज़-ए-मोहब्बत क्या जानो!Upload to Facebook
    जो चाहते हो सो कहते हो चुप रहने की लज़्ज़त क्या जानो;
    ये राज़-ए-मोहब्बत है प्यारे तुम राज़-ए-मोहब्बत क्या जानो!
    ~ Aal-e-Raza Raza
  • धूप रुख़्सत हुई शाम आई सितारा चमका; <br/>
गर्द जब बैठ गई नाम तुम्हारा चमका!Upload to Facebook
    धूप रुख़्सत हुई शाम आई सितारा चमका;
    गर्द जब बैठ गई नाम तुम्हारा चमका!
    ~ Rabab Rashidi
  • इकरार किसी दिन है तो इंकार किसी दिन;<br/>
हो जाएगी अब आप से तकरार किसी दिन!Upload to Facebook
    इकरार किसी दिन है तो इंकार किसी दिन;
    हो जाएगी अब आप से तकरार किसी दिन!
    ~ Badr Wasti
  • हैरतों के सिलसिले सोज़-ए-निहाँ तक आ गए;<br/>
हम नज़र तक चाहते थे तुम तो जाँ तक आ गए! Upload to Facebook
    हैरतों के सिलसिले सोज़-ए-निहाँ तक आ गए;
    हम नज़र तक चाहते थे तुम तो जाँ तक आ गए!