क्या कहें कुछ भी कहा नहीं जाता; दर्द मिलता है पर सहा नहीं जाता; हो गयी है मोहब्बत आपसे इस कदर; कि अब तो बिन देखे आप को जिया नहीं जाता। |
तेरे हर ग़म को अपनी रूह में उतार लूँ; ज़िन्दगी अपनी तेरी चाहत में संवार लूँ; मुलाक़ात हो तुझसे कुछ इस तरह मेरी; सारी उम्र बस एक मुलाक़ात में गुज़ार लूँ। |
हम उस से थोड़ी दूरी पर हमेशा रुक से जाते हैं; न जाने उस से मिलने का इरादा कैसा लगता है; मैं धीरे धीरे उन का दुश्मन-ए-जाँ बनता जाता हूँ; वो आँखें कितनी क़ातिल हैं वो चेहरा कैसा लगता है। |
आँखों से आँखें मिलाकर तो देखो; हमारे दिल से दिल मिलाकर तो देखो; सारे जहान की खुशियाँ तेरे दामन में रख देंगे; हमारे प्यार पर ज़रा ऐतबार करके तो देखो। |
ना जाने कब वो हसीन रात होगी; जब उनकी निगाहें हमारी निगाहों के साथ होंगी; बैठे हैं हम उस रात के इंतज़ार में; जब उनके होंठों की सुर्खियां हमारे होंठों के साथ होंगी। |
मोहब्बत एक दम दुख का मुदावा कर नहीं देती; ये तितली बैठती है ज़ख़्म पर आहिस्ता आहिस्ता। |
मेरी चाहत को अपनी मोहब्बत बना के देख; मेरी हँसी को अपने होंठो पे सज़ा के देख; ये मोहब्बत तो हसीन तोहफा है एक; कभी मोहब्बत को मोहब्बत की तरह निभा कर तो देख। |
इश्क़ में कोई खोज नहीं होती; यह हर किसी से हर रोज नहीं होती; अपनी जिंदगी में हमारी मौजूदगी को बेवजह मत समझना; क्योंकि पलकें कभी आँखों पर बोझ नहीं होती। |
रोज कहता हूँ न जाऊँगा कभी घर उसके; रोज उस के कूचे में कोई काम निकल आता है। |
साथ अगर दोगे तो मुस्कुराएंगे ज़रूर; प्यार अगर दिल से करोगे तो निभाएंगे ज़रूर; कितने भी काँटे क्यों ना हों राहों में; आवाज़ अगर दिल से दोगे तो आएंगे ज़रूर। |