उसके चेहरे पर इस क़दर नूर था; कि उसकी याद में रोना भी मंज़ूर था; बेवफा भी नहीं कह सकते उसको ज़ालिम; प्यार तो हमने किया है वो तो बेक़सूर था। |
प्यासी ये निगाहें तरसती रहती हैं; तेरी याद में अक्सर बरसती रहती हैं; हम तेरे ख्यालों में डूबे रहते हैं; और ये ज़ालिम दुनिया हम पे हँसती रहती है। |
चाहत के ये कैसे अफ़साने हुए; खुद नज़रों में अपनी बेगाने हुए; अब दुनिया की नहीं कोई परवाह हमें; इश्क़ में तेरे इस कदर दीवाने हुए। |
तेरी आवाज़ तेरे रूप की पहचान है; तेरे दिल की धड़कन में दिल की जान है; ना सुनूं जिस दिन तेरी बातें; लगता है उस रोज़ ये जिस्म बेजान है। |
ना दिल से होता है, ना दिमाग से होता है; ये प्यार तो इत्तेफ़ाक़ से होता है; पर प्यार करके प्यार ही मिले; ये इत्तेफ़ाक़ भी किसी-किसी के साथ होता है। |
फिर से वो सपना सजाने चला हूँ; उमीदों के सहारे दिल लगाने चला हूँ; पता है कि अंजाम बुरा ही होगा मेरा; फिर भी किसी को अपना बनाने चला हूँ। |
मुश्किल था कुछ तो इश्क़ की बाज़ी को जीतना; कुछ जीतने के ख़ौफ़ से हारे चले गए। |
आईने में भी खुद को झांक कर देखा; खुद को भी हमने तनहा करके देखा; पता चल गया हमें कितनी मोहब्बत है आपसे; जब तेरी याद को दिल से जुदा करके देखा। |
देख मेरी आँखों में ख्वाब किसके हैं; दिल में मेरे सुलगते तूफ़ान किसके हैं; नहीं गुज़रा कोई आज तक इस रास्ते से हो कर; फिर ये क़दमों के निशान किसके हैं। |
कहते हैं ग़ज़ल क़ाफ़िया-पैमाई है नासिर; ये क़ाफ़िया-पैमाई ज़रा कर के तो देखो। |