इश्क Hindi Shayari

  • क्या कहें कुछ भी कहा नहीं जाता;<br />
दर्द मिलता है पर सहा नहीं जाता;<br />
हो गयी है मोहब्बत आपसे इस कदर;<br />
कि अब तो बिन देखे आप को जिया नहीं जाता।Upload to Facebook
    क्या कहें कुछ भी कहा नहीं जाता;
    दर्द मिलता है पर सहा नहीं जाता;
    हो गयी है मोहब्बत आपसे इस कदर;
    कि अब तो बिन देखे आप को जिया नहीं जाता।
  • तेरे हर ग़म को अपनी रूह में उतार लूँ;<br />
ज़िन्दगी अपनी तेरी चाहत में संवार लूँ;<br />
मुलाक़ात हो तुझसे कुछ इस तरह मेरी;<br />
सारी उम्र बस एक मुलाक़ात में गुज़ार लूँ।Upload to Facebook
    तेरे हर ग़म को अपनी रूह में उतार लूँ;
    ज़िन्दगी अपनी तेरी चाहत में संवार लूँ;
    मुलाक़ात हो तुझसे कुछ इस तरह मेरी;
    सारी उम्र बस एक मुलाक़ात में गुज़ार लूँ।
  • हम उस से थोड़ी दूरी पर हमेशा रुक से जाते हैं;
    न जाने उस से मिलने का इरादा कैसा लगता है;
    मैं धीरे धीरे उन का दुश्मन-ए-जाँ बनता जाता हूँ;
    वो आँखें कितनी क़ातिल हैं वो चेहरा कैसा लगता है।
    ~ Abdul Hameed Adam
  • आँखों से आँखें मिलाकर तो देखो;<br />
हमारे दिल से दिल मिलाकर तो देखो;<br />
सारे जहान की खुशियाँ तेरे दामन में रख देंगे;<br />
हमारे प्यार पर ज़रा ऐतबार करके तो देखो।Upload to Facebook
    आँखों से आँखें मिलाकर तो देखो;
    हमारे दिल से दिल मिलाकर तो देखो;
    सारे जहान की खुशियाँ तेरे दामन में रख देंगे;
    हमारे प्यार पर ज़रा ऐतबार करके तो देखो।
  • ना जाने कब वो हसीन रात होगी;<br />
जब उनकी निगाहें हमारी निगाहों के साथ होंगी;<br />
बैठे हैं हम उस रात के इंतज़ार में;<br />
जब उनके होंठों की सुर्खियां हमारे होंठों के साथ होंगी।Upload to Facebook
    ना जाने कब वो हसीन रात होगी;
    जब उनकी निगाहें हमारी निगाहों के साथ होंगी;
    बैठे हैं हम उस रात के इंतज़ार में;
    जब उनके होंठों की सुर्खियां हमारे होंठों के साथ होंगी।
  • मोहब्बत एक दम दुख का मुदावा कर नहीं देती;
    ये तितली बैठती है ज़ख़्म पर आहिस्ता आहिस्ता।
    ~ Abbas Tabish
  • मेरी चाहत को अपनी मोहब्बत बना के देख;<br />
मेरी हँसी को अपने होंठो पे सज़ा के देख;<br />
ये मोहब्बत तो हसीन तोहफा है एक;<br />
कभी मोहब्बत को मोहब्बत की तरह निभा कर तो देख।Upload to Facebook
    मेरी चाहत को अपनी मोहब्बत बना के देख;
    मेरी हँसी को अपने होंठो पे सज़ा के देख;
    ये मोहब्बत तो हसीन तोहफा है एक;
    कभी मोहब्बत को मोहब्बत की तरह निभा कर तो देख।
  • इश्क़ में कोई खोज नहीं होती;
    यह हर किसी से हर रोज नहीं होती;
    अपनी जिंदगी में हमारी मौजूदगी को बेवजह मत समझना;
    क्योंकि पलकें कभी आँखों पर बोझ नहीं होती।
  • रोज कहता हूँ न जाऊँगा कभी घर उसके;
    रोज उस के कूचे में कोई काम निकल आता है।
  • साथ अगर दोगे तो मुस्कुराएंगे ज़रूर;<br />
प्यार अगर दिल से करोगे तो निभाएंगे ज़रूर;<br />
कितने भी काँटे क्यों ना हों राहों में;<br />
आवाज़ अगर दिल से दोगे तो आएंगे ज़रूर।Upload to Facebook
    साथ अगर दोगे तो मुस्कुराएंगे ज़रूर;
    प्यार अगर दिल से करोगे तो निभाएंगे ज़रूर;
    कितने भी काँटे क्यों ना हों राहों में;
    आवाज़ अगर दिल से दोगे तो आएंगे ज़रूर।