अच्छा है डूब जाये सफीना हयात का; उम्मीदो-आरजूओं का साहिल नहीं रहा। अनुवाद: सफीना = नाव हयात = ज़िंदगी साहिल = किनारा |
तुझसे दोस्ती करने का हिसाब ना आया; मेरे किसी भी सवाल का जवाब ना आया; हम तो जागते रहे तेरे ही ख्यालों में; और तुझे सो कर भी हमारा ख्वाब ना आया। |
प्यार के नाम पे यहाँ तो लोग खून पीते हैं; मुझे खुद पे नाज़ है कि मैं सिर्फ शराब पीता हूँ। |
तुम आज हँसते हो हंस लो मुझ पर ये आज़माइश ना बार-बार होगी; मैं जानता हूं मुझे ख़बर है कि कल फ़ज़ा ख़ुशगवार होगी; रहे मोहब्बत में ज़िन्दगी भर, रहेगी ये कशमकश बराबर; ना तुमको कुर्बत में जीत होगी ना मुझको फुर्कत में हार होगी; हज़ार उल्फ़त सताए लेकिन मेरे इरादों से है ये मुमकिन; अगर शराफ़त को तुमने छेड़ा तो ज़िन्दगी तुम पे वार होगी। |
मेरे लफ़्ज़ों से न कर मेरे क़िरदार का फ़ैसला; तेरा वज़ूद मिट जायेगा मेरी हकीक़त ढूंढ़ते ढूंढ़ते। |
वो रास्ते में पलटा तो रुक गया मैं भी; फिर कदम, कदम न रहे, सफर, सफर न रहा; नज़रों से गिराया उसको कुछ इस तरह हम ने; कि वो खुद अपनी नज़रों में मुताबिर न रहा। |
किसी के दिल में बसना कुछ बुरा तो नही; किसी को दिल में बसाना कोई खता तो नही; गुनाह हो यह ज़माने की नजर में तो क्या; यह ज़माने वाले कोई खुदा तो नही। |
अपना समझा तो कह दिया वरना; गैरों से तो कोई गिला नहीं होता; कुछ न कुछ पहले खोना पड़ता है; मुफ्त में तो कोई तज़ुर्बा नहीं मिलता। |
गुलों को छू के शमीम-ए-दुआ नहीं आई; खुला हुआ था दरीचा सबा नहीं आई; हवा-ए-दश्त अभी तो जुनूँ का मौसम था; कहाँ थे हम तेरी आवाज़ नहीं आई। |
तुझे फुर्सत न मिली पढ़ने की वरना; हम तो तेरे शहर में बिकते रहे किताबों की तरह। |