अन्य Hindi Shayari

  • बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल है दुनिया मेरे आगे;
    होता है शब-ओ-रोज़ तमाशा मेरे आगे!
    ~ मिर्ज़ा ग़ालिब
  • रेख़्ते के तुम्हीं उस्ताद नहीं हो 'ग़ालिब';
    कहते हैं अगले ज़माने में कोई 'मीर' भी था!
    ~ मिर्ज़ा ग़ालिब
  • आज फ़िर उसकी याद आ गई;
    जब पान वाले ने पूछा कितना चूना लगाऊं!
    ~ Abhijit Mishra
  • याद उसे करो जो इंसान अच्छा हो,
    प्यार उसे करो जो इंसान सच्चा हो;
    साथ उसका दो जो इंसान इरादे का पक्का हो,
    और दिल उसको दो जो सूरत से नहीं दिल से अच्छा हो!
    ~ Gulzar
  • दामन पे कोई छींट न ख़ंजर पे कोई दाग़,
    तुम क़त्ल करो हो कि करामात करो हो..!
    ~ कलीम आजिज़
  • हमें मिटाना तो आसान है, बहुत आसान;
    इसी मुग़ालते में कितने लोग मारे गए..!
    ~ DR Nadeem Shad
  • अब अपने लहज़े में नरमी बहुत ज्यादा है,
    नए बरस में नई जंग का इरादा है!
    ~ राहत इंदौरी
  • ये है कि झुकाता है मुख़ालिफ़ की भी गर्दन;<br />
सुन लो कि कोई शय नहीं एहसान से बेहतर!<br /><br />
*मुख़ालिफ़: विरोधी<br />
*शय: चीज़Upload to Facebook
    ये है कि झुकाता है मुख़ालिफ़ की भी गर्दन;
    सुन लो कि कोई शय नहीं एहसान से बेहतर!

    *मुख़ालिफ़: विरोधी
    *शय: चीज़
    ~ Akbar Allahabadi
  • हम फ़क़ीरों का पैरहन है धूप;<br />
और ये रात अपनी चादर है!<br /><br />
*पैरहन: पहनने के कपड़ेUpload to Facebook
    हम फ़क़ीरों का पैरहन है धूप;
    और ये रात अपनी चादर है!

    *पैरहन: पहनने के कपड़े
    ~ Abid Wadood
  • मुझ में रहता है कोई दुश्मन-ए-जानी मेरा,<br />
ख़ुद से तन्हाई में मिलते हुए डर लगता है;<br />
बुत भी रखे हैं नमाज़ें भी अदा होती हैं,<br />
दिल मेरा दिल नहीं अल्लाह का घर लगता है!<br /><br />
*बुत: मूर्तियों<br />
*अदा: चुकानाUpload to Facebook
    मुझ में रहता है कोई दुश्मन-ए-जानी मेरा,
    ख़ुद से तन्हाई में मिलते हुए डर लगता है;
    बुत भी रखे हैं नमाज़ें भी अदा होती हैं,
    दिल मेरा दिल नहीं अल्लाह का घर लगता है!

    *बुत: मूर्तियों
    *अदा: चुकाना
    ~ Bashir Badr