इश्क Hindi Shayari

  • तुम्हें बस यह बताना चाहता हूँ;
    मैं तुमसे क्या छुपाना चाहता हूँ!
    कभी मुझसे भी कोई झूठ बोलो;
    मैं हाँ में हाँ मिलाना चाहता हूँ!
    अदाकारी बड़ा दुःख दे रही है;
    मैं सचमुच मुस्कुराना चाहता हूँ!
    अमीरी इश्क़ की तुमको मुबारक;
    मैं बस खाना कमाना चाहता हूँ!
    मुझे तुमसे बिछड़ना ही पड़ेगा;
    मैं तुमको याद आना चाहता हूँ!
    ~ फ़हमी बदायूनी
  • ये माना के वो मेरा यार नहीं है,
    ऐसा भी नहीं के प्यार नहीं है;
    ऐसे कैसे उसे मैं दिल से निकालूं,
    वो मालिक है इसका किरायेदार नहीं है!
    ~ Elma Hashim
  • उसे कहो बहुत जल्द मिलने आए हमें,
    अकेले रहने की आदत ही पड़ ना जाए हमें;
    अभी तो आँख में जलते हैं बेशुमार चिराग़,
    हवा-ए हिज्र जऱा खुल कर आज़माएँ हमें;
    हर इक की बात पे कहता नहीं है दिल लब्बैक,
    पसंद आती नहीं हर किसी की राय हमें;
    हमारे दिल तो मिले आदतें नहीं मिलती,
    उसे पसंद नही कॉफ़ी और चाय हमें!
    ~ फ़रीहा नक़वी
  • ना रख इश्क में इम्तेहान मैं अनपढ़ हूँ;
    तेरी याद के सिवा मुझे कुछ नही आता..!
    ~ Farzana Begam
  • रुख मस्जिद का किया था उसे भुलाने की नीयत से,
    दुआ में हाथ क्या उठे​ फिर उसी को मांग बैठे..!
    ~ Ahamad Ansari
  • ख़ुदा का ज़िकर नही है उम्दा इस नासूर के;
    ये इश्क़ और ख़ुदा की तोहीन है बाबस्ता!
    ~ जेडी घई
  • दुश्मनी लाख सही ख़त्म न कीजिये रिश्ता;<br />
दिल मिले या न मिले हाथ मिलाते रहिए!Upload to Facebook
    दुश्मनी लाख सही ख़त्म न कीजिये रिश्ता;
    दिल मिले या न मिले हाथ मिलाते रहिए!
    ~ Nida Fazli
  • जस्ता जस्ता पढ़ लिया करना मज़ामीन-ए-वफ़ा,<br />
पर किताब-ए-इश्क़ का हर बाब मत देखा करो;<br />
इस तमाशे में उलट जाती हैं अक्सर कश्तियाँ,<br />
डूबने वालों को ज़ेर-ए-आब मत देखा करो;<br /><br />
*जस्ता: उछला हुआ<br />
*बाब: द्वार<br />
*ज़ेर-ए-आब: पानी के नीचे<br />
*मज़ामीन-ए-वफ़ा: निरंतरता के विषयUpload to Facebook
    जस्ता जस्ता पढ़ लिया करना मज़ामीन-ए-वफ़ा,
    पर किताब-ए-इश्क़ का हर बाब मत देखा करो;
    इस तमाशे में उलट जाती हैं अक्सर कश्तियाँ,
    डूबने वालों को ज़ेर-ए-आब मत देखा करो;

    *जस्ता: उछला हुआ
    *बाब: द्वार
    *ज़ेर-ए-आब: पानी के नीचे
    *मज़ामीन-ए-वफ़ा: निरंतरता के विषय
    ~ Ahmad Faraz
  • सर से पा तक वो गुलाबों का शजर लगता है,<br />
बा-वज़ू हो के भी छूते हुए डर लगता है;<br />
मैं तेरे साथ सितारों से गुज़र सकता हूँ,<br />
कितना आसान मोहब्बत का सफ़र लगता है!<br /><br />
*बा-वज़ू: शुद्ध और स्वच्छUpload to Facebook
    सर से पा तक वो गुलाबों का शजर लगता है,
    बा-वज़ू हो के भी छूते हुए डर लगता है;
    मैं तेरे साथ सितारों से गुज़र सकता हूँ,
    कितना आसान मोहब्बत का सफ़र लगता है!

    *बा-वज़ू: शुद्ध और स्वच्छ
    ~ Bashir Badr
  • एक हक़ीक़त हूँ अगर इज़हार हो जाऊँगा मैं;<br />
जाने किस किस जुर्म का इक़रार हो जाऊँगा मैं!Upload to Facebook
    एक हक़ीक़त हूँ अगर इज़हार हो जाऊँगा मैं;
    जाने किस किस जुर्म का इक़रार हो जाऊँगा मैं!
    ~ Abdullah Kamal