दुश्मनी लाख सही ख़त्म न कीजिये रिश्ता; दिल मिले या न मिले हाथ मिलाते रहिए! |
जस्ता जस्ता पढ़ लिया करना मज़ामीन-ए-वफ़ा, पर किताब-ए-इश्क़ का हर बाब मत देखा करो; इस तमाशे में उलट जाती हैं अक्सर कश्तियाँ, डूबने वालों को ज़ेर-ए-आब मत देखा करो; *जस्ता: उछला हुआ *बाब: द्वार *ज़ेर-ए-आब: पानी के नीचे *मज़ामीन-ए-वफ़ा: निरंतरता के विषय |
सर से पा तक वो गुलाबों का शजर लगता है, बा-वज़ू हो के भी छूते हुए डर लगता है; मैं तेरे साथ सितारों से गुज़र सकता हूँ, कितना आसान मोहब्बत का सफ़र लगता है! *बा-वज़ू: शुद्ध और स्वच्छ |
एक हक़ीक़त हूँ अगर इज़हार हो जाऊँगा मैं; जाने किस किस जुर्म का इक़रार हो जाऊँगा मैं! |
हम भी वहीं मौजूद थे हम से भी सब पूछा किए, हम हँस दिए हम चुप रहे मंज़ूर था पर्दा तेरा; इस शहर में किस से मिलें हम से तो छूटीं महफ़िलें, हर शख़्स तेरा नाम ले हर शख़्स दीवाना तेरा! |
अभी कुछ और करिश्मे ग़ज़ल के देखते हैं, 'फ़राज़' अब ज़रा लहजा बदल के देखते हैं; जुदाइयाँ तो मुक़द्दर हैं फिर भी जान-ए-सफ़र, कुछ और दूर ज़रा साथ चल के देखते हैं! |
जो कहा मैंने कि प्यार आता है मुझ को तुम पर; हँस के कहने लगा और आप को आता क्या है ! |
बेचैन इस क़दर था कि सोया न रात भर; पलकों से लिख रहा था तेरा नाम चाँद पर! |
समझा लिया फ़रेब से मुझ को तो आप ने; दिल से तो पूछ लीजिए क्यों बे-क़रार है! |
वो पल कि जिस में मोहब्बत जवान होती है, उस एक पल का तुझे इंतज़ार है कि नहीं; तेरी उम्मीद पे ठुकरा रहा हूँ दुनिया को, तुझे भी अपने पे ये ऐतबार है कि नहीं! |