वो क़त्ल कर के भी मुंसिफों में शामिल है, हम जान देकर भी जमाने में ख़तावार हुए! |
ज़ाया ना करो अपने अल्फाज़ हर किसी के लिए, थोड़ा ख़ामोश रह कर भी देखो कि तुम्हें समझता कौन है! |
उन्होंने हमें आजमा कर देख लिया, इक धोखा हमने भी खा कर देख लिया; क्या हुआ हम हुए जो उदास, उन्होंने तो अपना दिल बहला के देख लिया! |
दुनिया बहुत मतलबी है, साथ कोई क्यों देगा, मुफ़्त का यहाँ कफन नही मिलता, तो बिना गम के प्यार कौन देगा। |
यूँ ना कहो कि ये किस्मत की बात है; मुझे बर्बाद करने में तुम्हारा भी हाथ है। |
भूलकर हमें अगर तुम रहते हो सलामत, तो भूलके तुमको संभलना हमें भी आता है; मेरी फ़ितरत में ये आदत नहीं है वरना, तेरी तरह बदल जाना मुझे भी आता है। |
पूरी तरह से जीना कब का भूल चूका हूँ मैं, कुछ तुम में जिन्दा हूँ कूछ खुद मे बाकी हूँ मैं। |
जिधर जाते हैं सब जाना उधर अच्छा नहीं लगता; मुझे पामाल रस्तों का सफ़र अच्छा नहीं लगता! |
अजल भी टल गई देखी गई हालत न आँखों से; शब-ए-ग़म में मुसीबत सी मुसीबत हम ने झेली है! |
मेरे अल्फ़ाज़ का जादू ज़माने की ज़बाँ पर है; तुम्हारी साज़िशों की हर कहानी बेअसर निकली! |