जिधर जाते हैं सब जाना उधर अच्छा नहीं लगता; मुझे पामाल रस्तों का सफ़र अच्छा नहीं लगता! |
अजल भी टल गई देखी गई हालत न आँखों से; शब-ए-ग़म में मुसीबत सी मुसीबत हम ने झेली है! |
मेरे अल्फ़ाज़ का जादू ज़माने की ज़बाँ पर है; तुम्हारी साज़िशों की हर कहानी बेअसर निकली! |
ख़ुदा महफूज़ रखें आपको तीनों बलाओं से, वकीलों से, हक़ीमों से, हसीनों की निगाहों से! |
आँखों को फोड़ डालूँ या दिल को तोड़ डालूँ; या इश्क़ की पकड़ कर गर्दन मरोड़ डालूँ| |
कौन डूबेगा किसे पार उतरना है 'ज़फ़र'; फ़ैसला वक़्त के दरिया में उतर कर होगा! |
हसरत भरी निगाहों को आराम तक नहीं, वो यूँ बदल गये है के अब सलाम तक नहीं! |
गुनाह करके कहां जाओगे गालिब; ये जमीन और आसमान सब उसी का है! |
अपने मन में डूब कर पा जा सुराग़-ए-ज़ि़ंदगी; तू अगर मेरा नहीं बनता न बन अपना तो बन! |
अब मुझे मानें न मानें ऐ 'हफ़ीज़'; मानते हैं सब मिरे उस्ताद को ! |