काँटों से दिल लगाओ जो ता-उम्र साथ दें; फूलों का क्या जो साँस की गर्मी न सह सकें! |
सुन चुके जब हाल मेरा ले के अंगड़ाई कहा; किस ग़ज़ब का दर्द ज़ालिम तेरे अफ़्साने में था! |
हसीन तेरी आँखें हसीन तेरे आँसू; यहीं डूब जाने को जी चाहता है! |
जब तुझे याद कर लिया सुबह महक महक उठी; जब तेरा ग़म जगा लिया रात मचल मचल गयी! |
सब्र पर दिल को तो आमादा किया है लेकिन; होश उड़ जाते हैं अब भी तेरी आवाज़ के साथ! |
उसने बारिश में भी खिड़की खोल के देखा नहीं; भीगने वालों को कल क्या क्या परेशानी हुई! |
हम को यारों ने याद भी न रखा; 'जौन' यारों के यार थे हम तो! |
चाँद भी हैरान दरिया भी परेशानी में है; अक्स किस का है कि इतनी रौशनी पानी में है! |
दिल दे तो इस मिज़ाज का परवरदिगार दे; जो रंज की घड़ी भी ख़ुशी से गुज़ार दे! *रंज: दुख |
इतने हिजाबों पर तो ये आलम है हुस्न का; क्या हाल हो जो देख लें पर्दा उठा के हम! |