तू भी सादा है कभी चाल बदलता ही नहीं; हम भी सादा हैं इसी चाल में आ जाते हैं! |
किसने भीगे हुए बालों से ये झटका पानी; झूम के आई घटा टूट के बरसा पानी! |
यही हालात इब्तिदा से रहे; लोग हम से ख़फ़ा ख़फ़ा से रहे! * इब्तिदा :आरम्भ, शुरुआत। |
इश्क़ के इज़हार में हर-चंद रुस्वाई तो है; पर करूँ क्या अब तबीअत आप पर आई तो है! |
वफ़ा जिस से की बेवफ़ा हो गया; जिसे बुत बनाया ख़ुदा हो गया! |
बहुत ग़ुरूर है दरिया को अपने होने पर; जो मेरी प्यास से उलझे तो धज्जियाँ उड़ जाएँ! |
एक दिन कह लीजिए जो कुछ है दिल में आप के; एक दिन सुन लीजिए जो कुछ हमारे दिल में है! |
आज देखा है तुझ को देर के बाद; आज का दिन गुज़र न जाए कहीं! |
फ़रिश्ते से बढ़ कर है इंसान बनना; मगर इस में लगती है मेहनत ज़्यादा! |
कभी इश्क़ करो और फिर देखो इस आग में जलते रहने से; कभी दिल पर आँच नहीं आती कभी रंग ख़राब नहीं होता! |