Hindi Shayari

  • कौन कहे मासूम हमारा बचपन था;<br/>
खेल में भी तो आधा आधा आँगन था!Upload to Facebook
    कौन कहे मासूम हमारा बचपन था;
    खेल में भी तो आधा आधा आँगन था!
    ~ Shariq Kaifi
  • यही है ज़िंदगी कुछ ख़्वाब चंद उम्मीदें;<br/>
इन्हीं खिलौनों से तुम भी बहल सको तो चलो!Upload to Facebook
    यही है ज़िंदगी कुछ ख़्वाब चंद उम्मीदें;
    इन्हीं खिलौनों से तुम भी बहल सको तो चलो!
    ~ Nida Fazli
  • मैं चाहता हूँ कि तुम ही मुझे इजाज़त दो;<br/>
तुम्हारी तरह से कोई गले लगाए मुझे!Upload to Facebook
    मैं चाहता हूँ कि तुम ही मुझे इजाज़त दो;
    तुम्हारी तरह से कोई गले लगाए मुझे!
    ~ Bashir Badr
  • चले तो पाँव के नीचे कुचल गई कोई शय;<br/>
नशे की झोंक में देखा नहीं कि दुनिया है!Upload to Facebook
    चले तो पाँव के नीचे कुचल गई कोई शय;
    नशे की झोंक में देखा नहीं कि दुनिया है!
    ~ Shahab Jafri
  • बेहतर तो है यही कि न दुनिया से दिल लगे;<br/>
पर क्या करें जो काम न बे-दिल-लगी चले!Upload to Facebook
    बेहतर तो है यही कि न दुनिया से दिल लगे;
    पर क्या करें जो काम न बे-दिल-लगी चले!
    ~ Sheikh Ibrahim Zauq
  • बहार आए तो मेरा सलाम कह देना;<br/>
मुझे तो आज तलब कर लिया है सहरा ने!Upload to Facebook
    बहार आए तो मेरा सलाम कह देना;
    मुझे तो आज तलब कर लिया है सहरा ने!
    ~ Kaifi Azmi
  • यूँ जो तकता है आसमान को तू;<br/>
कोई रहता है आसमान में क्या!Upload to Facebook
    यूँ जो तकता है आसमान को तू;
    कोई रहता है आसमान में क्या!
    ~ Jaun Elia
  • आज की रात भी तन्हा ही कटी;<br/>
आज के दिन भी अंधेरा होगा!Upload to Facebook
    आज की रात भी तन्हा ही कटी;
    आज के दिन भी अंधेरा होगा!
    ~ Ahmad Nadeem Qasmi
  • सच है एहसान का भी बोझ बहुत होता है;<br/>
चार फूलों से दबी जाती है तुर्बत मेरी!<br/><br/>
*तुर्बत: क़ब्र  Upload to Facebook
    सच है एहसान का भी बोझ बहुत होता है;
    चार फूलों से दबी जाती है तुर्बत मेरी!

    *तुर्बत: क़ब्र
    ~ Jaleel Manikpuri
  • न कोई वादा न कोई यकीन न कोई उम्मीद;<br/>
मगर हमें तो तेरा इंतज़ार करना था!Upload to Facebook
    न कोई वादा न कोई यकीन न कोई उम्मीद;
    मगर हमें तो तेरा इंतज़ार करना था!
    ~ Firaq Gorakhpuri