क्या शक्ल है वस्ल में किसी की; तस्वीर हैं अपनी बेबसी की! |
दर्द हो दिल में तो दवा कीजिये; और जो दिल ही न हो तो क्या कीजिये! |
क्यों परखते हो सवालों से जवाबों को 'अदीम'; होंठ अच्छे हों तो समझो कि सवाल अच्छा है! |
सब एक चिराग के परवाने होना चाहते हैं; अजीब लोग हैं दीवाने होना चाहते हैं! |
इश्क़ मुझ को नहीं वहशत ही सही; मेरी वहशत तेरी शोहरत ही सही! |
कैसे कहें कि तुझ को भी हम से है वास्ता कोई; तूने तो हम से आज तक कोई गिला नहीं किया! |
ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा; क़ाफ़िला साथ और सफ़र तन्हा! |
आँखें साक़ी की जब से देखी हैं; हम से दो घूँट पी नहीं जाती! |
इतना सच बोल कि होंठों का तबस्सुम न बुझे; रौशनी ख़त्म न कर आगेअँधेरा होगा! * तबस्सुम: मुस्कुराहट, मुस्कान |
आगही कर्ब वफ़ा सब्र तमन्ना एहसास; मेरे ही सीने में उतरे हैं ये ख़ंजर सारे! |