इश्क Hindi Shayari

  • हम भी वहीं मौजूद थे हम से भी सब पूछा किए,<br />
हम हँस दिए हम चुप रहे मंज़ूर था पर्दा तेरा;<br />
इस शहर में किस से मिलें हम से तो छूटीं महफ़िलें,<br />
हर शख़्स तेरा नाम ले हर शख़्स दीवाना तेरा!Upload to Facebook
    हम भी वहीं मौजूद थे हम से भी सब पूछा किए,
    हम हँस दिए हम चुप रहे मंज़ूर था पर्दा तेरा;
    इस शहर में किस से मिलें हम से तो छूटीं महफ़िलें,
    हर शख़्स तेरा नाम ले हर शख़्स दीवाना तेरा!
    ~ Ibn e Insha
  • अभी कुछ और करिश्मे ग़ज़ल के देखते हैं,</br>
'फ़राज़' अब ज़रा लहजा बदल के देखते हैं;</br>
जुदाइयाँ तो मुक़द्दर हैं फिर भी जान-ए-सफ़र,</br>
कुछ और दूर ज़रा साथ चल के देखते हैं!Upload to Facebook
    अभी कुछ और करिश्मे ग़ज़ल के देखते हैं,
    'फ़राज़' अब ज़रा लहजा बदल के देखते हैं;
    जुदाइयाँ तो मुक़द्दर हैं फिर भी जान-ए-सफ़र,
    कुछ और दूर ज़रा साथ चल के देखते हैं!
    ~ Ahmad Faraz
  • जो कहा मैंने कि प्यार आता है मुझ को तुम पर;</br>
हँस के कहने लगा और आप को आता क्या है !Upload to Facebook
    जो कहा मैंने कि प्यार आता है मुझ को तुम पर;
    हँस के कहने लगा और आप को आता क्या है !
    ~ Akbar Allahabadi
  • बेचैन इस क़दर था कि सोया न रात भर;</br>
पलकों से लिख रहा था तेरा नाम चाँद पर!Upload to Facebook
    बेचैन इस क़दर था कि सोया न रात भर;
    पलकों से लिख रहा था तेरा नाम चाँद पर!
    ~ Author Unknown
  • समझा लिया फ़रेब से मुझ को तो आप ने;</br>
दिल से तो पूछ लीजिए क्यों बे-क़रार है!Upload to Facebook
    समझा लिया फ़रेब से मुझ को तो आप ने;
    दिल से तो पूछ लीजिए क्यों बे-क़रार है!
    ~ Lala Madhav Ram Jauhar
  • वो पल कि जिस में मोहब्बत जवान होती है,</br>
उस एक पल का तुझे इंतज़ार है कि नहीं;</br>
तेरी उम्मीद पे ठुकरा रहा हूँ दुनिया को,</br>
तुझे भी अपने पे ये ऐतबार है कि नहीं!Upload to Facebook
    वो पल कि जिस में मोहब्बत जवान होती है,
    उस एक पल का तुझे इंतज़ार है कि नहीं;
    तेरी उम्मीद पे ठुकरा रहा हूँ दुनिया को,
    तुझे भी अपने पे ये ऐतबार है कि नहीं!
    ~ Kaifi Azmi
  • अज़ीज़ इतना ही रखो कि जी सँभल जाए;</br>
अब इस क़दर भी न चाहो कि दम निकल जाए!</br>
~ उबैदुल्लाह अलीम</br>
'अज़ीज़</br>
*दोस्त, प्रिय, प्यारा,Upload to Facebook
    अज़ीज़ इतना ही रखो कि जी सँभल जाए;
    अब इस क़दर भी न चाहो कि दम निकल जाए!
    ~ उबैदुल्लाह अलीम
    'अज़ीज़
    *दोस्त, प्रिय, प्यारा,
    ~ Obaidullah Aleem
  • ख़बर-ए-तहय्युर-ए-इश्क़ सुन न जुनूँ रहा न परी रही,</br>
न तो तू रहा न तो मैं रहा जो रही सो बे-ख़बरी रही;</br>
शह-ए-बे-ख़ुदी ने अता किया मुझे अब लिबास-ए-बरहनगी,</br>
न ख़िरद की बख़िया-गरी रही न जुनूँ की पर्दा-दरी रही!Upload to Facebook
    ख़बर-ए-तहय्युर-ए-इश्क़ सुन न जुनूँ रहा न परी रही,
    न तो तू रहा न तो मैं रहा जो रही सो बे-ख़बरी रही;
    शह-ए-बे-ख़ुदी ने अता किया मुझे अब लिबास-ए-बरहनगी,
    न ख़िरद की बख़िया-गरी रही न जुनूँ की पर्दा-दरी रही!
    ~ Siraj Aurangabadi
  • ढल चुकी रात मुलाक़ात कहाँ सो जाओ;</br>
सो गया सारा जहाँ सारा जहाँ सो जाओ!Upload to Facebook
    ढल चुकी रात मुलाक़ात कहाँ सो जाओ;
    सो गया सारा जहाँ सारा जहाँ सो जाओ!
    ~ Javed Kamal Rampuri
  • `शहर में अपने ये लैला ने मुनादी कर दी,</br>
कोई पत्थर से न मारे मेंरे दीवाने को।`Upload to Facebook
    "शहर में अपने ये लैला ने मुनादी कर दी,
    कोई पत्थर से न मारे मेंरे दीवाने को।"