गिला शिकवा Hindi Shayari

  • मंज़िलों से ही गुमराह कर देते हैं कुछ लोग,<br />
हर किसी से रास्ता पूछना अच्छा नहीं होता। Upload to Facebook
    मंज़िलों से ही गुमराह कर देते हैं कुछ लोग,
    हर किसी से रास्ता पूछना अच्छा नहीं होता।
  • ये वफ़ा की सख़्त राहें ये तुम्हारे पाँव नाज़ुक;<br />
ना लो इंतिक़ाम मुझ से मेरे साथ साथ चल के।Upload to Facebook
    ये वफ़ा की सख़्त राहें ये तुम्हारे पाँव नाज़ुक;
    ना लो इंतिक़ाम मुझ से मेरे साथ साथ चल के।
    ~ Khumar Barabankvi
  • जुस्तुजू जिस की थी उस को तो न पाया हम ने;<br />
इस बहाने से मगर देख ली दुनिया हम ने।Upload to Facebook
    जुस्तुजू जिस की थी उस को तो न पाया हम ने;
    इस बहाने से मगर देख ली दुनिया हम ने।
    ~ Shahryar
  • चाह कर भी पूछ नहीं सकते हाल उनका,<br />
डर है कहीं कह ना दे कि ये हक तुम्हें किसने दिया।Upload to Facebook
    चाह कर भी पूछ नहीं सकते हाल उनका,
    डर है कहीं कह ना दे कि ये हक तुम्हें किसने दिया।
  • आसमाँ इतनी बुलंदी पे जो इतराता है;<br />
भूल जाता है ज़मीं से ही नज़र आता है।Upload to Facebook
    आसमाँ इतनी बुलंदी पे जो इतराता है;
    भूल जाता है ज़मीं से ही नज़र आता है।
    ~ Wasim Barelvi
  • खुदा तू भी कारीगर निकला,<br />
खींच दी दो - तीन लकीरें हाथों में और ये भोला आदमी उसे तकदीर समझ बैठा।Upload to Facebook
    खुदा तू भी कारीगर निकला,
    खींच दी दो - तीन लकीरें हाथों में और ये भोला आदमी उसे तकदीर समझ बैठा।
  • जिस को जाना ही नहीं उस को ख़ुदा कैसे कहें,
    और जिसे जान लिया हो वो ख़ुदा कैसे हो।
    ~ Shahzad Ahmad
  • अजीब इत्तेफाक था वो मतलब से मिलते थे,<br />
और हमें तो बस मिलने से मतलब था।Upload to Facebook
    अजीब इत्तेफाक था वो मतलब से मिलते थे,
    और हमें तो बस मिलने से मतलब था।
  • आजाद कर देंगे तुम्हे अपनी चाहत की कैद से,<br />
मगर वो शख्स तो लाओ जो हमसे ज्यादा कदर करे तुम्हारी।Upload to Facebook
    आजाद कर देंगे तुम्हे अपनी चाहत की कैद से,
    मगर वो शख्स तो लाओ जो हमसे ज्यादा कदर करे तुम्हारी।
  • कोई हालात नहीं समझता,<br />
कोई जज़्बात नहीं समझता;<br />
ये तो बस अपनी अपनी समझ है,<br />
कोई कोरा कागज़ भी पढ़ लेता है,<br />
तो कोई पूरी किताब नहीं समझता।Upload to Facebook
    कोई हालात नहीं समझता,
    कोई जज़्बात नहीं समझता;
    ये तो बस अपनी अपनी समझ है,
    कोई कोरा कागज़ भी पढ़ लेता है,
    तो कोई पूरी किताब नहीं समझता।