दर्द Hindi Shayari

  • छुपे हैं लाख हक़ के मरहले गुम-नाम होंटों पर;
    उसी की बात चल जाती है जिस का नाम चलता है।
    ~ Shakeel Badayuni
  • सब का तो मुदावा कर डाला अपना ही मुदावा कर न सके;
    सब के तो गिरेबाँ सी डाले अपना ही गिरेबाँ भूल गए।
    ~ Asrar ul Haq Majaz
  • क्यों हिज्र के शिकवे करता है क्यों दर्द के रोने रोता है;
    अब इश्क़ किया तो सब्र भी कर इस में तो यही कुछ होता है।
    ~ Hafeez Jalandhari
  • वही रंजिशें वही हसरतें,
    न ही दर्द-ए-दिल में कमी हुई;
    है अजीब सी मेरी ज़िन्दगी,
    न गुज़र सकी न खत्म हुई।
  • आँखों के परदे भी नम हो गए हैं;<br>
बातों के सिलसिले भी कम हो गए हैं;<br>
पता नहीं गलती किसकी है;<br>
वक़्त बुरा है या बुरे हम हो गए हैं।Upload to Facebook
    आँखों के परदे भी नम हो गए हैं;
    बातों के सिलसिले भी कम हो गए हैं;
    पता नहीं गलती किसकी है;
    वक़्त बुरा है या बुरे हम हो गए हैं।
  • इक़रार कर गया कभी इंकार कर गया;<br />
हर बात एक अज़ब से दो-चार कर गया;<br />
रास्ता बदल के भी देखा मगर वो शख्स;<br />
दिल में उतर कर सारी हदें पार कर गया।Upload to Facebook
    इक़रार कर गया कभी इंकार कर गया;
    हर बात एक अज़ब से दो-चार कर गया;
    रास्ता बदल के भी देखा मगर वो शख्स;
    दिल में उतर कर सारी हदें पार कर गया।
  • अपना ही समझते हैं तुम्हें दिल-ओ-जाना हम तुम्हें;
    दुश्मनों को तो कभी दिल में बसाया नहीं जाता।
  • कभी किसी से प्यार मत करना;<br />
हो जाए तो इनकार मत करना;<br />
निभा सको तो चलना उसकी राह पर;<br />
वरना किसी की ज़िंदगी बरबाद मत करना।Upload to Facebook
    कभी किसी से प्यार मत करना;
    हो जाए तो इनकार मत करना;
    निभा सको तो चलना उसकी राह पर;
    वरना किसी की ज़िंदगी बरबाद मत करना।
  • सुना है जब वो मायूस होते हैं तो हमें बहुत याद करते हैं;<br />
तू ही बता ऐ खुदा अब दुआ उनकी खुशी की करुँ या मायूसी की।Upload to Facebook
    सुना है जब वो मायूस होते हैं तो हमें बहुत याद करते हैं;
    तू ही बता ऐ खुदा अब दुआ उनकी खुशी की करुँ या मायूसी की।
  • तुम ने जो दिल के अँधेरे में जलाया था कभी;<br />
वो दिया आज भी सीने में जला रखा है;<br />
देख आ कर दहकते हुए ज़ख्मों की बहार;<br />
मैंने अब तक तेरे गुलशन को सजा रखा है। Upload to Facebook
    तुम ने जो दिल के अँधेरे में जलाया था कभी;
    वो दिया आज भी सीने में जला रखा है;
    देख आ कर दहकते हुए ज़ख्मों की बहार;
    मैंने अब तक तेरे गुलशन को सजा रखा है।