ख़्वाब होते हैं देखने के लिए; उन में जा कर मगर रहा न करो! |
मैं बोलता हूँ तो इल्ज़ाम है बग़ावत का; मैं चुप रहूँ तो बड़ी बेबसी सी होती है! |
अगर ऐ नाख़ुदा तूफ़ान से लड़ने का दम-ख़म है; इधर कश्ती न ले आना यहाँ पानी बहुत कम है! |
अगर बदल न दिया आदमी ने दुनिया को; तो जान लो कि यहाँ आदमी की ख़ैर नहीं! |
पत्थर के जिगर वालो ग़म में वो रवानी है; ख़ुद राह बना लेगा बहता हुआ पानी है! |
सवाल करती कई आँखें मुंतज़िर हैं यहाँ; जवाब आज भी हम सोच कर नहीं आए! |
अपने होने का कुछ एहसास न होने से हुआ; ख़ुद से मिलना मेरा एक शख़्स के खोने से हुआ! |
दूर तक फैला हुआ पानी ही पानी हर तरफ़; अब के बादल ने बहुत की मेहरबानी हर तरफ़! |
पहाड़ काटने वाले ज़मीन से हार गए; इसी ज़मीन में दरिया समाए हैं क्या क्या! |
आज फिर मुझ से कहा दरिया ने; क्या इरादा है बहा ले जाऊँ! |