सब्र आ जाए इस की क्या उम्मीद; मैं वही, दिल वही है तू है वही! |
दिल ना-उमीद तो नहीं नाकाम ही तो है; लम्बी है गम की शाम मगर शाम ही तो है! |
कुछ तुम ले गये, कुछ ज़माना; इतना सकून हम लाते भी कहाँ से! |
इज़ाज़त हो तो लिफाफे में रखकर थोड़ा वक़्त भेज दूँ; सुना है कुछ लोगों को फुर्सत नहीं अपनों से बात करने की! |
चाहो तो तुम भी हाल पूछ सकते हो हमारा; कुछ हक़ दिए नहीं लिए जाते हैं! |
साजन हमसे मिले भी लेकिन ऐसे मिले कि हाय; जैसे सूखे खेत से बादल बिन बरसे उड़ जाये! |
मिलने को तो हर शख्स एहतराम से मिला; पर जो मिला किसी न किसी काम से मिला। |
कहीं बेहतर है तेरी अमीरी से मुफलिसी मेरी, चंद सिक्कों की खातिर तूने क्या नहीं खोया है; माना नहीं है मखमल का बिछौना मेरे पास, पर तू ये बता कितनी रातें चैन से सोया है। |
तुम खफा हो गए तो कोई ख़ुशी न रहेगी, तुम्हारे बिना चिरागों में रोशनी न रहेगी; क्या कहे क्या गुजरेगी इस दिल पर, जिंदा तो रहेंगे पर ज़िन्दगी न रहेगी। |
घरों पे नाम थे नामों के साथ ओहदे थे; बहुत तलाश किया कोई आदमी न मिला! |