गिला शिकवा Hindi Shayari

  • ग़ैरों से कहा तुमने ग़ैरों से सुना तुमने;</br>
कुछ हम से कहा होता कुछ हम से सुना होता!Upload to Facebook
    ग़ैरों से कहा तुमने ग़ैरों से सुना तुमने;
    कुछ हम से कहा होता कुछ हम से सुना होता!
    ~ Chiragh Hasan Hasrat
  • छेड़ मत हर दम न आईना दिखा;</br>
अपनी सूरत से ख़फ़ा बैठे हैं हम!Upload to Facebook
    छेड़ मत हर दम न आईना दिखा;
    अपनी सूरत से ख़फ़ा बैठे हैं हम!
    ~ Mushafi Ghulam Hamdani
  • यारों की मोहब्बत का यकीन कर लिया मैंने,</br>
फूलों में छुपाया हुआ ख़ंजर नहीं देखा;</br>
महबूब का घर हो कि बुज़ुर्गों की ज़मीनें,</br>
जो छोड़ दिया फिर उसे मुड़ कर नहीं देखा!Upload to Facebook
    यारों की मोहब्बत का यकीन कर लिया मैंने,
    फूलों में छुपाया हुआ ख़ंजर नहीं देखा;
    महबूब का घर हो कि बुज़ुर्गों की ज़मीनें,
    जो छोड़ दिया फिर उसे मुड़ कर नहीं देखा!
    ~ Bashir Badr
  • इस से पहले कि बे-वफ़ा हो जाएँ,</br>
क्यों न ऐ दोस्त हम जुदा हो जाएँ;</br>
तू भी हीरे से बन गया पत्थर,</br>
हम भी कल जाने क्या से क्या हो जाएँ!Upload to Facebook
    इस से पहले कि बे-वफ़ा हो जाएँ,
    क्यों न ऐ दोस्त हम जुदा हो जाएँ;
    तू भी हीरे से बन गया पत्थर,
    हम भी कल जाने क्या से क्या हो जाएँ!
    ~ Ahmad Faraz
  • मेरे हम-नफ़स मेरे हम-नवा मुझे दोस्त बन के दग़ा न दे;<br/>
मैं हूँ दर्द-ए-इश्क़ से जाँ-ब-लब मुझे ज़िंदगी की दुआ न दे!<br/>
मेरे दाग़-ए-दिल से है रौशनी इसी रौशनी से है ज़िंदगी;<br/>
मुझे डर है ऐ मिरे चारा-गर ये चराग़ तू ही बुझा न दे!<br/><br/>

*जाँ-ब-लब: जिसके प्राण होंठों पर होंUpload to Facebook
    मेरे हम-नफ़स मेरे हम-नवा मुझे दोस्त बन के दग़ा न दे;
    मैं हूँ दर्द-ए-इश्क़ से जाँ-ब-लब मुझे ज़िंदगी की दुआ न दे!
    मेरे दाग़-ए-दिल से है रौशनी इसी रौशनी से है ज़िंदगी;
    मुझे डर है ऐ मिरे चारा-गर ये चराग़ तू ही बुझा न दे!

    *जाँ-ब-लब: जिसके प्राण होंठों पर हों
    ~ Shakeel Badayuni
  • काँटे तो ख़ैर काँटे हैं इस का गिला ही क्या;<br/>
फूलों की वारदात से घबरा के पी गया!Upload to Facebook
    काँटे तो ख़ैर काँटे हैं इस का गिला ही क्या;
    फूलों की वारदात से घबरा के पी गया!
    ~ Saghar Siddiqui
  • ग़म मुझे देते हो औरों की ख़ुशी के वास्ते;</br>
क्यों बुरे बनते हो तुम नाहक़ किसी के वास्ते!</br></br>
*नाहक़: अनुचित रूप से और अकारणUpload to Facebook
    ग़म मुझे देते हो औरों की ख़ुशी के वास्ते;
    क्यों बुरे बनते हो तुम नाहक़ किसी के वास्ते!

    *नाहक़: अनुचित रूप से और अकारण
    ~ Riyaz Khairabadi
  • ये सर्द रात ये आवारगी ये नींद का बोझ;</br>
हम अपने शहर में होते तो घर गए होते!Upload to Facebook
    ये सर्द रात ये आवारगी ये नींद का बोझ;
    हम अपने शहर में होते तो घर गए होते!
    ~ Ummeed Fazli
  • जिस को तुम भूल गए याद करे कौन उस को;</br>
जिस को तुम याद हो वो और किसे याद करे!Upload to Facebook
    जिस को तुम भूल गए याद करे कौन उस को;
    जिस को तुम याद हो वो और किसे याद करे!
    ~ Josh Malsiani
  • हाँ उन्हीं लोगों से दुनिया में शिकायत है हमें;</br>
हाँ वही लोग जो अक्सर हमें याद आए हैं!Upload to Facebook
    हाँ उन्हीं लोगों से दुनिया में शिकायत है हमें;
    हाँ वही लोग जो अक्सर हमें याद आए हैं!
    ~ Rahi Masoom Raza