गिला शिकवा Hindi Shayari

  • और भी दुख हैं ज़माने में मोहब्बत के सिवा; <br/>
राहतें और भी हैं वस्ल की राहत के सिवा! xUpload to Facebook
    और भी दुख हैं ज़माने में मोहब्बत के सिवा;
    राहतें और भी हैं वस्ल की राहत के सिवा! x
    ~ Faiz Ahmad Faiz
  • जुस्तुजू जिस की थी उस को तो न पाया हम ने; <br/>
इस बहाने से मगर देख ली दुनिया हम ने!Upload to Facebook
    जुस्तुजू जिस की थी उस को तो न पाया हम ने;
    इस बहाने से मगर देख ली दुनिया हम ने!
    ~ Shahryar
  • क्या खूब मजबूरियां थी मेरी भी,<br/>
अपनी ख़ुशी को छोड़ दिया उसे खुश देखने के लिए!Upload to Facebook
    क्या खूब मजबूरियां थी मेरी भी,
    अपनी ख़ुशी को छोड़ दिया उसे खुश देखने के लिए!
  • मुझे लगता है नाराज़गी अब भी बाकी है;<br/>
हाथ थामा तो उसने दबाया नहीं!Upload to Facebook
    मुझे लगता है नाराज़गी अब भी बाकी है;
    हाथ थामा तो उसने दबाया नहीं!
  • माना मौसम भी बदलते हैं मगर धीरे-धीरे;<br/>पर दोस्त तेरे बदलने की रफ़्तार से तो हवाएं भी हैरान हैं!Upload to Facebook
    माना मौसम भी बदलते हैं मगर धीरे-धीरे;
    पर दोस्त तेरे बदलने की रफ़्तार से तो हवाएं भी हैरान हैं!
  • रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ;<br/>
आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ!Upload to Facebook
    रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ;
    आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ!
    ~ Ahmad Faraz
  • कौन कहता है हम झूठ नहीं बोलते;<br/>एक बार खैरियत तो पूछ कर देखिये!Upload to Facebook
    कौन कहता है हम झूठ नहीं बोलते;
    एक बार खैरियत तो पूछ कर देखिये!
    ~ Gulzar
  • बहुत अंदर तक जला देती हैं;<br/>वो शिकायतें जो बयां नहीं होती!Upload to Facebook
    बहुत अंदर तक जला देती हैं;
    वो शिकायतें जो बयां नहीं होती!
    ~ Gulzar
  • राज़ मेरे पहुँच गए हैं गैरों तक;<br/>
मशवरा तो मैंने अपनों से किया था!Upload to Facebook
    राज़ मेरे पहुँच गए हैं गैरों तक;
    मशवरा तो मैंने अपनों से किया था!
  • बहुत कम बोलना अब कर दिया है;<br/>
कई मौक़ों पे ग़ुस्सा भी पिया है!Upload to Facebook
    बहुत कम बोलना अब कर दिया है;
    कई मौक़ों पे ग़ुस्सा भी पिया है!
    ~ Shams Tabrezi