गिला शिकवा Hindi Shayari

  • अंगड़ाई भी वो लेने न पाए उठा के हाथ;</br>
देखा जो मुझ को छोड़ दिए मुस्कुरा के हाथ!Upload to Facebook
    अंगड़ाई भी वो लेने न पाए उठा के हाथ;
    देखा जो मुझ को छोड़ दिए मुस्कुरा के हाथ!
    ~ Nizam Rampuri
  • कल उस सनम के कूचे से निकला जो शैख़-ए-वक़्त;</br>
कहते थे सब इधर से अजब बरहमन गया!</br></br>
*शैख़-ए-वक़्त: अपने समय का सबसे बड़ा धर्मगुरु</br>
*बरहमन: ब्राह्मण   
Upload to Facebook
    कल उस सनम के कूचे से निकला जो शैख़-ए-वक़्त;
    कहते थे सब इधर से अजब बरहमन गया!

    *शैख़-ए-वक़्त: अपने समय का सबसे बड़ा धर्मगुरु
    *बरहमन: ब्राह्मण
    ~ Jurat Qalandar Bakhsh
  • यहाँ हर किसी को<br /> दरारों में झाँकने की आदत है,<br />दरवाजे खोल दो,<br />कोई पूछने भी नहीं आएगा।Upload to Facebook
    यहाँ हर किसी को
    दरारों में झाँकने की आदत है,
    दरवाजे खोल दो,
    कोई पूछने भी नहीं आएगा।
  • उम्र गुज़रेगी इम्तिहान में क्या,</br>
दाग़ ही देंगे मुझ को दान में क्या;</br>
मेरी हर बात बे-असर ही रही,</br>
नक़्स है कुछ मेरे बयान में क्या!Upload to Facebook
    उम्र गुज़रेगी इम्तिहान में क्या,
    दाग़ ही देंगे मुझ को दान में क्या;
    मेरी हर बात बे-असर ही रही,
    नक़्स है कुछ मेरे बयान में क्या!
    ~ Jaun Elia
  • तुम्हारे ख़त में नया एक सलाम किस का था,</br<
न था रक़ीब तो आख़िर वो नाम किस का था;</br<
वो क़त्ल कर के मुझे हर किसी से पूछते हैं,</br<
ये काम किस ने किया है ये काम किस का था!Upload to Facebook
    तुम्हारे ख़त में नया एक सलाम किस का था,
    ~ Daagh Dehlvi
  • सुला कर तेज़ धारों को किनारो तुम न सो जाना;</br>
रवानी ज़िंदगानी है तो धारो तुम न सो जाना!Upload to Facebook
    सुला कर तेज़ धारों को किनारो तुम न सो जाना;
    रवानी ज़िंदगानी है तो धारो तुम न सो जाना!
    ~ Kausar Siwani
  • हम को किस के गम ने मारा ये कहानी फिर सही;</br>
किस ने तोडा ये दिल हमारा ये कहानी फिर सही!Upload to Facebook
    हम को किस के गम ने मारा ये कहानी फिर सही;
    किस ने तोडा ये दिल हमारा ये कहानी फिर सही!
    ~ Masroor Anwar
  • वही कारवाँ वही रास्ते वही ज़िंदगी वही मरहले;</br>
मगर अपने अपने मक़ाम पर कभी तुम नहीं कभी हम नहीं!Upload to Facebook
    वही कारवाँ वही रास्ते वही ज़िंदगी वही मरहले;
    मगर अपने अपने मक़ाम पर कभी तुम नहीं कभी हम नहीं!
    ~ Shakeel Badayuni
  • दिन रात मय-कदे में गुज़रती थी ज़िंदगी;</br>
'अख़्तर' वो बे-ख़ुदी के ज़माने किधर गए!</br>
*मय-कदे: शराबख़ानाUpload to Facebook
    दिन रात मय-कदे में गुज़रती थी ज़िंदगी;
    'अख़्तर' वो बे-ख़ुदी के ज़माने किधर गए!
    *मय-कदे: शराबख़ाना
    ~ Akhtar Sheerani
  • चार दिन की ज़िन्दगी,<br />
मैं किस से कतरा के चलूँ, <br />
ख़ाक़ हूँ, मैं ख़ाक़ पर,<br />
क्या ख़ाक़ इतरा के चलूँ! <br />Upload to Facebook
    चार दिन की ज़िन्दगी,
    मैं किस से कतरा के चलूँ,
    ख़ाक़ हूँ, मैं ख़ाक़ पर,
    क्या ख़ाक़ इतरा के चलूँ!