गिला शिकवा Hindi Shayari

  • न कर 'सौदा' तू शिकवा हम से दिल की बे-क़रारी का;</br>
मोहब्बत किस को देती है मियाँ आराम दुनिया में!Upload to Facebook
    न कर 'सौदा' तू शिकवा हम से दिल की बे-क़रारी का;
    मोहब्बत किस को देती है मियाँ आराम दुनिया में!
    ~ Sauda Mohammad Rafi
  • कुछ मोहब्बत को न था चैन से रखना मंज़ूर;</br>
और कुछ उन की इनायात ने जीने न दिया!Upload to Facebook
    कुछ मोहब्बत को न था चैन से रखना मंज़ूर;
    और कुछ उन की इनायात ने जीने न दिया!
    ~ Kaif Bhopali
  • एक बोसे के भी नसीब न हों;</br>
होंठ इतने भी अब ग़रीब न हों!</br></br>
*बोसे: चुम्बनUpload to Facebook
    एक बोसे के भी नसीब न हों;
    होंठ इतने भी अब ग़रीब न हों!

    *बोसे: चुम्बन
    ~ Farhat Ehsas
  • जब से तूने मुझे दीवाना बना रखा है,</br>
संग हर शख़्स ने हाथों में उठा रखा है;</br>
उस के दिल पर भी कड़ी इश्क़ में गुज़री होगी,</br>
नाम जिस ने भी मोहब्बत का सज़ा रखा है!Upload to Facebook
    जब से तूने मुझे दीवाना बना रखा है,
    संग हर शख़्स ने हाथों में उठा रखा है;
    उस के दिल पर भी कड़ी इश्क़ में गुज़री होगी,
    नाम जिस ने भी मोहब्बत का सज़ा रखा है!
    ~ Hakeem Nasir
  • हम को न मिल सका तो फ़क़त इक सुकून-ए-दिल;</br>
ऐ ज़िंदगी वगरना ज़माने में क्या न था!</br></br>
*फ़क़त: केवलUpload to Facebook
    हम को न मिल सका तो फ़क़त इक सुकून-ए-दिल;
    ऐ ज़िंदगी वगरना ज़माने में क्या न था!

    *फ़क़त: केवल
    ~ Azad Ansari
  • ग़ैरों से तो फ़ुर्सत तुम्हें दिन रात नहीं है;</br>
हाँ मेरे लिए वक़्त-ए-मुलाक़ात नहीं है!Upload to Facebook
    ग़ैरों से तो फ़ुर्सत तुम्हें दिन रात नहीं है;
    हाँ मेरे लिए वक़्त-ए-मुलाक़ात नहीं है!
    ~ Lala Madhav Ram Jauhar
  • ये अदा-ए-बे-नियाज़ी तुझे बेवफ़ा मुबारक;</br>
मगर ऐसी बे-रुख़ी क्या कि सलाम तक न पहुँचे!</br></br>
*अदा-ए-बे-नियाज़ी: लापरवाही की हवाUpload to Facebook
    ये अदा-ए-बे-नियाज़ी तुझे बेवफ़ा मुबारक;
    मगर ऐसी बे-रुख़ी क्या कि सलाम तक न पहुँचे!

    *अदा-ए-बे-नियाज़ी: लापरवाही की हवा
    ~ Shakeel Badayuni
  • अंगड़ाई भी वो लेने न पाए उठा के हाथ;</br>
देखा जो मुझ को छोड़ दिए मुस्कुरा के हाथ!Upload to Facebook
    अंगड़ाई भी वो लेने न पाए उठा के हाथ;
    देखा जो मुझ को छोड़ दिए मुस्कुरा के हाथ!
    ~ Nizam Rampuri
  • कल उस सनम के कूचे से निकला जो शैख़-ए-वक़्त;</br>
कहते थे सब इधर से अजब बरहमन गया!</br></br>
*शैख़-ए-वक़्त: अपने समय का सबसे बड़ा धर्मगुरु</br>
*बरहमन: ब्राह्मण   
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    कल उस सनम के कूचे से निकला जो शैख़-ए-वक़्त;
    कहते थे सब इधर से अजब बरहमन गया!

    *शैख़-ए-वक़्त: अपने समय का सबसे बड़ा धर्मगुरु
    *बरहमन: ब्राह्मण
    ~ Jurat Qalandar Bakhsh
  • यहाँ हर किसी को<br /> दरारों में झाँकने की आदत है,<br />दरवाजे खोल दो,<br />कोई पूछने भी नहीं आएगा।Upload to Facebook
    यहाँ हर किसी को
    दरारों में झाँकने की आदत है,
    दरवाजे खोल दो,
    कोई पूछने भी नहीं आएगा।