दर्द Hindi Shayari

  • कोई लम्हा हो तेरे साथ का, जो मेरी उम्र भर को समेट दे; मैं फ़ना बक़ा के सभी सफ़र, उसी एक पल में गुज़ार दूँ!
    ~ Hassan Khan
  • जाती है धूप उजले परों को समेट के,
    ज़ख़्मों को अब गिनूँगा मैं बिस्तर पे लेट के|
    ~ शकेब जलाली
  • जाने किन रिश्तों ने मुझ को बाँध रखा है कि मैं;<br />
मुद्दतों से आँधियों की ज़द में हूँ बिखरा नहीं!Upload to Facebook
    जाने किन रिश्तों ने मुझ को बाँध रखा है कि मैं;
    मुद्दतों से आँधियों की ज़द में हूँ बिखरा नहीं!
    ~ Bashar Nawaz
  • दिल के फफूले जल उठे सीने के दाग़ से;</br>
इस घर को आग लग गई घर के चिराग से!</br></br>
*फफूले: छालेUpload to Facebook
    दिल के फफूले जल उठे सीने के दाग़ से;
    इस घर को आग लग गई घर के चिराग से!

    *फफूले: छाले
    ~ Mahtab Rai Taban
  • कभी तो सुब्ह तेरे कुंज-ए-लब से हो आग़ाज़,</br>
कभी तो शब सर-ए-काकुल से मुश्क-बार चले;</br>
बड़ा है दर्द का रिश्ता ये दिल ग़रीब सही,</br>
तुम्हारे नाम पे आएँगे ग़म-गुसार चले!</br></br>
*कुंज-ए-लब: मुंह, मुंह का कोना</br>
*सर-ए-काकुल: बालUpload to Facebook
    कभी तो सुब्ह तेरे कुंज-ए-लब से हो आग़ाज़,
    कभी तो शब सर-ए-काकुल से मुश्क-बार चले;
    बड़ा है दर्द का रिश्ता ये दिल ग़रीब सही,
    तुम्हारे नाम पे आएँगे ग़म-गुसार चले!

    *कुंज-ए-लब: मुंह, मुंह का कोना
    *सर-ए-काकुल: बाल
    ~ Faiz Ahmad Faiz
  • हमारे ख़त के तो पुर्ज़े किए पढ़ा भी नहीं,</br>
सुना जो तूने ब-दिल वो पयाम किस का था;</br>
उठाई क्यों न क़यामत अदू के कूचे में,</br>
लिहाज़ आप को वक़्त-ए-ख़िराम किस का था!</br></br>
*पुर्ज़े: टुकड़े टुकड़े</br>
*ब-दिल: दिल से</br>
*पयाम: संदेश</br>
*अदू: शत्रु</br>
*कूचे: गलियाँUpload to Facebook
    हमारे ख़त के तो पुर्ज़े किए पढ़ा भी नहीं,
    सुना जो तूने ब-दिल वो पयाम किस का था;
    उठाई क्यों न क़यामत अदू के कूचे में,
    लिहाज़ आप को वक़्त-ए-ख़िराम किस का था!

    *पुर्ज़े: टुकड़े टुकड़े
    *ब-दिल: दिल से
    *पयाम: संदेश
    *अदू: शत्रु
    *कूचे: गलियाँ
    ~ Dagh Dehlvi
  • जिस दिन से चला हूँ मेरी मंज़िल पे नज़र है,</br>
आँखों ने कभी मील का पत्थर नहीं देखा;</br>
ये फूल मुझे कोई विरासत में मिले हैं,</br>
तुम ने मेरा काँटों भरा बिस्तर नहीं देखा!Upload to Facebook
    जिस दिन से चला हूँ मेरी मंज़िल पे नज़र है,
    आँखों ने कभी मील का पत्थर नहीं देखा;
    ये फूल मुझे कोई विरासत में मिले हैं,
    तुम ने मेरा काँटों भरा बिस्तर नहीं देखा!
    ~ Bashir Badr
  • रहा न दिल में वो बेदर्द और दर्द रहा,</br>
मुक़ीम कौन हुआ है मक़ाम किस का था;</br>
न पूछ-गछ थी किसी की वहाँ न आव-भगत,</br>
तुम्हारी बज़्म में कल एहतिमाम किस का था!</br></br>
*बज़्म: सभा</br>
*मुश्ताक़: शौक़ रखने वालाUpload to Facebook
    रहा न दिल में वो बेदर्द और दर्द रहा,
    मुक़ीम कौन हुआ है मक़ाम किस का था;
    न पूछ-गछ थी किसी की वहाँ न आव-भगत,
    तुम्हारी बज़्म में कल एहतिमाम किस का था!

    *बज़्म: सभा
    *मुश्ताक़: शौक़ रखने वाला
    ~ Dagh Dehlvi
  • किसी की शाम-ए-सादगी सहर का रंग पा गई,</br>
सबा के पाँव थक गए मगर बहार आ गई;</br>
चमन की जश्न-गाह में उदासियाँ भी कम न थीं,</br>
जली जो कोई शम-ए-गुल कली का दिल बुझा गई!Upload to Facebook
    किसी की शाम-ए-सादगी सहर का रंग पा गई,
    सबा के पाँव थक गए मगर बहार आ गई;
    चमन की जश्न-गाह में उदासियाँ भी कम न थीं,
    जली जो कोई शम-ए-गुल कली का दिल बुझा गई!
    ~ Sant Darshan Singh
  • ख़्वाब की तरह बिखर जाने को जी चाहता है;</br>
ऐसी तन्हाई कि मर जाने को जी चाहता है!Upload to Facebook
    ख़्वाब की तरह बिखर जाने को जी चाहता है;
    ऐसी तन्हाई कि मर जाने को जी चाहता है!
    ~ Iftikhar Arif