अन्य Hindi Shayari

  • हम को मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन;</br>
दिल के ख़ुश रखने को 'ग़ालिब' ये ख़याल अच्छा है!Upload to Facebook
    हम को मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन;
    दिल के ख़ुश रखने को 'ग़ालिब' ये ख़याल अच्छा है!
    ~ Mirza Ghalib
  • कोई ख़ुशबू बदलती रही पैरहन,</br>
कोई तस्वीर गाती रही रात भर;</br>
फिर सबा साया-ए-शाख़-ए-गुल के तले,</br>
कोई किस्सा सुनाती रही रात भर!</br></br>
*पैरहन: वस्त्र</br>
*सबा: सुबह की हवाUpload to Facebook
    कोई ख़ुशबू बदलती रही पैरहन,
    कोई तस्वीर गाती रही रात भर;
    फिर सबा साया-ए-शाख़-ए-गुल के तले,
    कोई किस्सा सुनाती रही रात भर!

    *पैरहन: वस्त्र
    *सबा: सुबह की हवा
    ~ Faiz Ahmad Faiz
  • एक ही नदी के हैं ये दो किनारे दोस्तो,</br>
दोस्ताना ज़िंदगी से मौत से यारी रखो;</br>
आते जाते पल ये कहते हैं हमारे कान में,</br>
कूच का ऐलान होने को है तैयारी रखो!Upload to Facebook
    एक ही नदी के हैं ये दो किनारे दोस्तो,
    दोस्ताना ज़िंदगी से मौत से यारी रखो;
    आते जाते पल ये कहते हैं हमारे कान में,
    कूच का ऐलान होने को है तैयारी रखो!
    ~ Rahat Indori
  • हिज्र को हौसला और वस्ल को फ़ुर्सत दरकार;</br>
एक मोहब्बत के लिए एक जवानी कम है!</br></br>
*हिज्र: जुदाई</br>
*वस्ल: मिलन</br>
*दरकार: आवश्यकताUpload to Facebook
    हिज्र को हौसला और वस्ल को फ़ुर्सत दरकार;
    एक मोहब्बत के लिए एक जवानी कम है!

    *हिज्र: जुदाई
    *वस्ल: मिलन
    *दरकार: आवश्यकता
    ~ Abbas Tabish
  • गाहे गाहे की मुलाक़ात ही अच्छी है 'अमीर';</br>
क़द्र खो देता है हर रोज़ का आना जाना!</br></br>
*गाहे: कभीUpload to Facebook
    गाहे गाहे की मुलाक़ात ही अच्छी है 'अमीर';
    क़द्र खो देता है हर रोज़ का आना जाना!

    *गाहे: कभी
    ~ Ameer Minai
  • भीड़ तन्हाइयों का मेला है;</br>
आदमी आदमी अकेला है!Upload to Facebook
    भीड़ तन्हाइयों का मेला है;
    आदमी आदमी अकेला है!
    ~ Saba Akbarabadi
  • मिट्टी ख़राब है तेरे कूचे में वर्ना हम;</br>
अब तक तो जिस ज़मीं पे रहे आसमाँ रहे!Upload to Facebook
    मिट्टी ख़राब है तेरे कूचे में वर्ना हम;
    अब तक तो जिस ज़मीं पे रहे आसमाँ रहे!
    ~ Anwar Dehlvi
  • दोनों तेरी जुस्तुजू में फिरते हैं दर दर तबाह;</br>
दैर हिन्दू छोड़ कर काबा मुसलमाँ छोड़ कर!Upload to Facebook
    दोनों तेरी जुस्तुजू में फिरते हैं दर दर तबाह;
    दैर हिन्दू छोड़ कर काबा मुसलमाँ छोड़ कर!
    ~ Waliullah Muhib
  • सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो,</br>
सभी हैं भीड़ में तुम भी निकल सको तो चलो;</br>
किसी के वास्ते राहें कहाँ बदलती हैं,</br>
तुम अपने आप को ख़ुद ही बदल सको तो चलो!Upload to Facebook
    सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो,
    सभी हैं भीड़ में तुम भी निकल सको तो चलो;
    किसी के वास्ते राहें कहाँ बदलती हैं,
    तुम अपने आप को ख़ुद ही बदल सको तो चलो!
    ~ Nida Fazli
  • क़ैस जंगल में अकेला ही मुझे जाने दो;</br>
ख़ूब गुज़रेगी, जो मिल बैठेंगे दीवाने दो।Upload to Facebook
    क़ैस जंगल में अकेला ही मुझे जाने दो;
    ख़ूब गुज़रेगी, जो मिल बैठेंगे दीवाने दो।