Hindi Shayari

  • तुम परिंदों से ज़्यादा तो नहीं हो आज़ाद;<br/>
शाम होने को है अब घर की तरफ़ लौट चलो!Upload to Facebook
    तुम परिंदों से ज़्यादा तो नहीं हो आज़ाद;
    शाम होने को है अब घर की तरफ़ लौट चलो!
    ~ Irfan Siddiqi
  • सर्दी में दिन सर्द मिला;<br/>
हर मौसम बेदर्द मिला!Upload to Facebook
    सर्दी में दिन सर्द मिला;
    हर मौसम बेदर्द मिला!
    ~ Mohammed Alvi
  • यक़ीन बरसों का इम्कान कुछ दिनों का हूँ;<br/>
मैं तेरे शहर में मेहमान कुछ दिनों का हूँ!<br/><br/>
*इम्कान: Possibility, Contingent, ExistenceUpload to Facebook
    यक़ीन बरसों का इम्कान कुछ दिनों का हूँ;
    मैं तेरे शहर में मेहमान कुछ दिनों का हूँ!

    *इम्कान: Possibility, Contingent, Existence
    ~ Athar Nasik
  • एक रात वो गया था जहाँ बात रोक के;<br/>
अब तक रुका हुआ हूँ वहीं रात रोक के!Upload to Facebook
    एक रात वो गया था जहाँ बात रोक के;
    अब तक रुका हुआ हूँ वहीं रात रोक के!
    ~ Farhat Ehsas
  • अंजाम को पहुँचूंगा मैं अंजाम से पहले;<br/>
ख़ुद मेरी कहानी भी सुनाएगा कोई और!Upload to Facebook
    अंजाम को पहुँचूंगा मैं अंजाम से पहले;
    ख़ुद मेरी कहानी भी सुनाएगा कोई और!
    ~ Aanis Moin
  • ये कैसा नशा है मैं किस अजब ख़ुमार में हूँ;<br/>
तू आ के जा भी चुका है मैं इंतज़ार में हूँ!Upload to Facebook
    ये कैसा नशा है मैं किस अजब ख़ुमार में हूँ;
    तू आ के जा भी चुका है मैं इंतज़ार में हूँ!
    ~ Muneer Niyazi
  • इतनी मिलती है मेरी ग़ज़लों से सूरत तेरी;<br/>

लोग तुझ को मेरा महबूब समझते होंगे!Upload to Facebook
    इतनी मिलती है मेरी ग़ज़लों से सूरत तेरी;
    लोग तुझ को मेरा महबूब समझते होंगे!
    ~ Bashir Badr
  • इन्हीं पत्थरों पे चल कर अगर आ सको तो आओ;<br/>
मेरे घर के रास्ते में कोई कहकशाँ नहीं है!<br/><br/>
*कहकशाँ: आकाशगंगा, छायापथUpload to Facebook
    इन्हीं पत्थरों पे चल कर अगर आ सको तो आओ;
    मेरे घर के रास्ते में कोई कहकशाँ नहीं है!

    *कहकशाँ: आकाशगंगा, छायापथ
    ~ Mustafa Zaidi
  • हया नहीं है ज़माने की आँख में बाक़ी;<br/>
ख़ुदा करे कि जवानी तेरी रहे बे-दाग़!Upload to Facebook
    हया नहीं है ज़माने की आँख में बाक़ी;
    ख़ुदा करे कि जवानी तेरी रहे बे-दाग़!
    ~ Allama Iqbal
  • एक तेरा आसरा है फ़क़त ऐ ख़याल-ए-दोस्त;<br/>
सब बुझ गए चिराग़ शब-ए-इंतज़ार में!Upload to Facebook
    एक तेरा आसरा है फ़क़त ऐ ख़याल-ए-दोस्त;
    सब बुझ गए चिराग़ शब-ए-इंतज़ार में!
    ~ Figar Unnavi