हसीन तो और हैं लेकिन कोई कहाँ तुझ सा; जो दिल जलाए बहुत फिर भी दिलरुबा ही लगे! |
तेरी सूरत से किसी की नहीं मिलती सूरत; हम जहान में तेरी तस्वीर लिए फिरते हैं! |
तुम्हारा हिज्र मना लूँ अगर इजाज़त हो; मैं दिल किसी से लगा लूँ अगर इजाज़त हो! *हिज्र- जुदाई, वियोग, विछोह, विरह |
इन चिराग़ों में तेल ही कम था; क्यों गिला फिर हमें हवा से रहे! |
ख़ुश्बू को फैलने का बहुत शौंक है मगर; मुमकिन नहीं हवाओं से रिश्ता किए बग़ैर! |
आधी से ज़्यादा शब-ए-ग़म काट चुका हूँ; अब भी अगर आ जाओ तो ये रात बड़ी है! |
हज़ार बर्क़ गिरे लाख आँधियाँ उठें; वो फूल खिल के रहेंगे जो खिलने वाले हैं! *बर्क: बिजली |
जो तूफ़ानों में पलते जा रहे हैं; वही दुनिया बदलते जा रहे हैं! |
हालात से ख़ौफ़ खा रहा हूँ; शीशे के महल बना रहा हूँ! |
ज़िंदगी एक हादसा है और कैसा हादसा; मौत से भी ख़त्म जिस का सिलसिला होता नहीं! |