Hindi Shayari

  • ऐ ग़म-ए-ज़िंदगी न हो नाराज़;<br/>
मुझ को आदत है मुस्कुराने की!Upload to Facebook
    ऐ ग़म-ए-ज़िंदगी न हो नाराज़;
    मुझ को आदत है मुस्कुराने की!
    ~ Abdul Hamid Adam
  • कोई समझेगा क्या राज़-ए-गुलशन;<br/>
जब तक उलझे न काँटों से दामन!Upload to Facebook
    कोई समझेगा क्या राज़-ए-गुलशन;
    जब तक उलझे न काँटों से दामन!
    ~ Fana Nizami Kanpuri
  • कौन आएगा यहाँ कोई न आया होगा;<br/>
मेरा दरवाज़ा हवाओं ने हिलाया होगा!Upload to Facebook
    कौन आएगा यहाँ कोई न आया होगा;
    मेरा दरवाज़ा हवाओं ने हिलाया होगा!
    ~ Kaif Bhopali
  • घूम रहा हूँ तेरे ख़्यालों में;<br/>
तुझ को आवाज़ उम्र भर दी है!Upload to Facebook
    घूम रहा हूँ तेरे ख़्यालों में;
    तुझ को आवाज़ उम्र भर दी है!
    ~ Ahmad Mushtaq
  • तिनकों से खेलते ही रहे आशियाँ में हम;<br/>
आया भी और गया भी ज़माना बहार का!Upload to Facebook
    तिनकों से खेलते ही रहे आशियाँ में हम;
    आया भी और गया भी ज़माना बहार का!
    ~ Fani Badayuni
  • आते आते मेरा नाम सा रह गया;<br />
उस के होंठों पे कुछ काँपता रह गया!Upload to Facebook
    आते आते मेरा नाम सा रह गया;
    उस के होंठों पे कुछ काँपता रह गया!
    ~ Wasim Barelvi
  • कभी कभी तो छलक पड़ती हैं यूँ ही आँखें;<br />
उदास होने का कोई सबब नहीं होता!Upload to Facebook
    कभी कभी तो छलक पड़ती हैं यूँ ही आँखें;
    उदास होने का कोई सबब नहीं होता!
    ~ Bashir Badr
  • एक आँसू भी हुकूमत के लिए ख़तरा है;<br />
तुम ने देखा नहीं आँखों का समंदर होना!Upload to Facebook
    एक आँसू भी हुकूमत के लिए ख़तरा है;
    तुम ने देखा नहीं आँखों का समंदर होना!
    ~ Munawwar Rana
  • इश्क़ नाज़ुक-मिज़ाज है बेहद;<br/>
अक़्ल का बोझ उठा नहीं सकता!Upload to Facebook
    इश्क़ नाज़ुक-मिज़ाज है बेहद;
    अक़्ल का बोझ उठा नहीं सकता!
    ~ Akbar Allahabadi
  • एक लफ़्ज़-ए-मोहब्बत का अदना ये फ़साना है;<br/>
सिमटे तो दिल-ए-आशिक़ फैले तो ज़माना है!Upload to Facebook
    एक लफ़्ज़-ए-मोहब्बत का अदना ये फ़साना है;
    सिमटे तो दिल-ए-आशिक़ फैले तो ज़माना है!
    ~ Jigar Moradabadi