हम को उन से वफ़ा की है उम्मीद; जो नहीं जानते वफ़ा क्या है! |
वस्ल का दिन और इतना मुख़्तसर; दिन गिने जाते थे इस दिन के लिए! |
आँखें जो उठाए तो मोहब्बत का गुमाँ हो; नज़रों को झुकाए तो शिकायत सी लगे है! |
जाने कितने बे-क़ुसूरों को सज़ाएँ मिल रहीं; झूठ लगता है तुम्हें तो जेल जा कर देखिए! |
आज एक और बरस बीत गया उस के बग़ैर; जिस के होते हुए होते थे ज़माने मेरे! |
रात भी नींद भी कहानी भी; हाए क्या चीज़ है जवानी भी! |
या वो थे ख़फ़ा हम से, या हम हैं ख़फ़ा उन से; कल उन का ज़माना था, आज अपना ज़माना है! |
उस ने मंज़िल पे ला के छोड़ दिया; उम्र भर जिस का रास्ता देखा! |
ज़हर मीठा हो तो पीने में मज़ा आता है; बात सच कहिए मगर यूँ कि हक़ीक़त न लगे! |
शाम तक सुब्ह की नज़रों से उतर जाते हैं; इतने समझौतों पे जीते हैं कि मर जाते हैं! |