आज तो दिल के दर्द पर हँस कर; दर्द का दिल दुखा दिया मैंने! |
दीया ख़ामोश है लेकिन किसी का दिल तो जलता है; चले आओ जहाँ तक रौशनी मा'लूम होती है! |
देखने के लिए सारा आलम भी कम; चाहने के लिए एक चेहरा बहुत! |
ज़िंदगी क्या जो बसर हो चैन से; दिल में थोड़ी सी तमन्ना चाहिए! |
तू कहानी ही के पर्दे में भली लगती है; ज़िंदगी तेरी हक़ीक़त नहीं देखी जाती! |
गँवाई किस की तमन्ना में ज़िंदगी मैंने; वो कौन है जिसे देखा नहीं कभी मैंने! |
अरमान वस्ल का मेरी नज़रों से ताड़ के; पहले से ही वो बैठ गए मुँह बिगाड़ के! |
और तो क्या था बेचने के लिए; अपनी आँखों के ख़्वाब बेचे हैं! |
वो चाँद कह के गया था कि आज निकलेगा; तो इंतज़ार में बैठा हुआ हूँ शाम से मैं! |
कर रहा था ग़म-ए-जहाँ का हिसाब; आज तुम याद बे-हिसाब आए! |