अन्य Hindi Shayari

  • चाहिए क्या तुम्हें तोहफ़े में बता दो वर्ना;<br/>
हम तो बाज़ार के बाज़ार उठा लाएँगे!Upload to Facebook
    चाहिए क्या तुम्हें तोहफ़े में बता दो वर्ना;
    हम तो बाज़ार के बाज़ार उठा लाएँगे!
    ~ Ata Turab
  • मुझे ज़िंदगी की दुआ देने वाले;</br>
हँसी आ रही है तेरी सादगी पर!Upload to Facebook
    मुझे ज़िंदगी की दुआ देने वाले;
    हँसी आ रही है तेरी सादगी पर!
    ~ Gopal Mittal
  • प्यास बढ़ती जा रही है बहता दरिया देख कर;</br>
भागती जाती हैं लहरें ये तमाशा देख कर!Upload to Facebook
    प्यास बढ़ती जा रही है बहता दरिया देख कर;
    भागती जाती हैं लहरें ये तमाशा देख कर!
    ~ Saqi Faruqi
  • अब आ गयी है सहर अपना घर सँभालने को;</br>
चलूँ कि जागा हुआ रात भर का मैं भी हूँ!Upload to Facebook
    अब आ गयी है सहर अपना घर सँभालने को;
    चलूँ कि जागा हुआ रात भर का मैं भी हूँ!
    ~ Irfan Siddiqi
  • सफ़र पीछे की जानिब है क़दम आगे है मेरा;</br>
मैं बूढ़ा होता जाता हूँ जवाँ होने की ख़ातिर!Upload to Facebook
    सफ़र पीछे की जानिब है क़दम आगे है मेरा;
    मैं बूढ़ा होता जाता हूँ जवाँ होने की ख़ातिर!
    ~ Zafar Iqbal
  • जितनी बँटनी थी बँट चुकी ये ज़मीन;</br>
अब तो बस आसमान बाक़ी है!Upload to Facebook
    जितनी बँटनी थी बँट चुकी ये ज़मीन;
    अब तो बस आसमान बाक़ी है!
    ~ Rajesh Reddy
  • दीवारें छोटी होती थीं लेकिन पर्दा होता था;</br>
तालों की ईजाद से पहले सिर्फ़ भरोसा होता था!Upload to Facebook
    दीवारें छोटी होती थीं लेकिन पर्दा होता था;
    तालों की ईजाद से पहले सिर्फ़ भरोसा होता था!
    ~ Azhar Faragh
  • हम तोहफ़े में घड़ियाँ तो दे देते हैं;</br>
एक दूजे को वक़्त नहीं दे पाते हैं!Upload to Facebook
    हम तोहफ़े में घड़ियाँ तो दे देते हैं;
    एक दूजे को वक़्त नहीं दे पाते हैं!
    ~ Fariha Naqvi
  • चिराग घर का हो महफ़िल का हो कि मंदिर का;</br>
हवा के पास कोई मस्लहत नहीं होती!</br></br>
*मस्लहत: भला बुरा देख कर काम करनाUpload to Facebook
    चिराग घर का हो महफ़िल का हो कि मंदिर का;
    हवा के पास कोई मस्लहत नहीं होती!

    *मस्लहत: भला बुरा देख कर काम करना
    ~ Wasim Barelvi
  • चलती फिरती हुई आँखों से अज़ाँ देखी है;</br>
मैंने जन्नत तो नहीं देखी है माँ देखी है!Upload to Facebook
    चलती फिरती हुई आँखों से अज़ाँ देखी है;
    मैंने जन्नत तो नहीं देखी है माँ देखी है!
    ~ Munawwar Rana