इश्क से तबियत ने जीस्त का मजा पाया; दर्द की दवा पाई दर्द बे-दवा पाया। |
पहली मोहब्बत पुराने मुक़द्दमे की तरह होती है; न ख़त्म होती है और न इन्सान बाइज्जत बरी होता है। |
बस इक झिजक है यही हाल-ए-दिल सुनाने में; कि तेरा ज़िक्र भी आएगा इस फ़साने में। |
हमने भी कभी चाहा था एक ऐसे शख्स को; जो था आइने से नाज़ुक मगर था संगदिल। |
उनको सोते हुए देखा था दमे-सुबह कभी; क्या बताऊं जो इन आंखों ने समां देखा था। |
सितारों से आगे जहां और भी हैं; अभी इश्क के इम्तिहां और भी हैं। |
सूरज, सितारे, चाँद मेरे साथ में रहें; जब तक तुम्हारे हाथ मेरे हाथ में रहें; शाखों से टूट जायें वो पत्ते नहीं हैं हम; आँधियों से कोई कह दे कि औकात में रहें। |
हर धड़कते पत्थर को, लोग दिल समझते हैं; उम्र बीत जाती है, दिल को दिल बनाने में। |
जागने की भी, जगाने की भी, आदत हो जाए; काश तुझको किसी शायर से मोहब्बत हो जाए; दूर हम कितने दिन से हैं, ये कभी गौर किया; फिर न कहना जो अमानत में खयानत हो जाए। |
अब तो है इश्क़-ए-बुताँ में ज़िंदगानी का मज़ा; जब ख़ुदा का सामना होगा तो देखा जाएगा। |