अन्य Hindi Shayari

  • हमारे शहर के लोगों का अब अहवाल इतना है;</br>
कभी अख़बार पढ़ लेना कभी अख़बार हो जाना!</br></br>
*अहवाल: परिस्थितिUpload to Facebook
    हमारे शहर के लोगों का अब अहवाल इतना है;
    कभी अख़बार पढ़ लेना कभी अख़बार हो जाना!

    *अहवाल: परिस्थिति
    ~ Ada Jafarey
  • इतनी मुद्दत बाद मिले हो कुछ तो दिल का हाल कहो,</br>
कैसे बीते हम बिन प्यारे इतने माह-ओ-साल कहो;</br>
रूप को धोखा समझो नज़र का या फिर माया-जाल कहो,</br>
प्रीत को दिल का रोग समझ लो या जी का जंजाल कहो!</br></br>
*माह-ओ-साल: महीने और बरसUpload to Facebook
    इतनी मुद्दत बाद मिले हो कुछ तो दिल का हाल कहो,
    कैसे बीते हम बिन प्यारे इतने माह-ओ-साल कहो;
    रूप को धोखा समझो नज़र का या फिर माया-जाल कहो,
    प्रीत को दिल का रोग समझ लो या जी का जंजाल कहो!

    *माह-ओ-साल: महीने और बरस
    ~ Syed Shakeel Desnavi
  • अभी ज़िंदा है माँ मेरी मुझे कुछ भी नहीं होगा;</br>
मैं घर से जब निकलता हूँ दुआ भी साथ चलती है!Upload to Facebook
    अभी ज़िंदा है माँ मेरी मुझे कुछ भी नहीं होगा;
    मैं घर से जब निकलता हूँ दुआ भी साथ चलती है!
    ~ Munawwar Rana
  • हम को मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन;</br>
दिल के ख़ुश रखने को 'ग़ालिब' ये ख़याल अच्छा है!Upload to Facebook
    हम को मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन;
    दिल के ख़ुश रखने को 'ग़ालिब' ये ख़याल अच्छा है!
    ~ Mirza Ghalib
  • कोई ख़ुशबू बदलती रही पैरहन,</br>
कोई तस्वीर गाती रही रात भर;</br>
फिर सबा साया-ए-शाख़-ए-गुल के तले,</br>
कोई किस्सा सुनाती रही रात भर!</br></br>
*पैरहन: वस्त्र</br>
*सबा: सुबह की हवाUpload to Facebook
    कोई ख़ुशबू बदलती रही पैरहन,
    कोई तस्वीर गाती रही रात भर;
    फिर सबा साया-ए-शाख़-ए-गुल के तले,
    कोई किस्सा सुनाती रही रात भर!

    *पैरहन: वस्त्र
    *सबा: सुबह की हवा
    ~ Faiz Ahmad Faiz
  • एक ही नदी के हैं ये दो किनारे दोस्तो,</br>
दोस्ताना ज़िंदगी से मौत से यारी रखो;</br>
आते जाते पल ये कहते हैं हमारे कान में,</br>
कूच का ऐलान होने को है तैयारी रखो!Upload to Facebook
    एक ही नदी के हैं ये दो किनारे दोस्तो,
    दोस्ताना ज़िंदगी से मौत से यारी रखो;
    आते जाते पल ये कहते हैं हमारे कान में,
    कूच का ऐलान होने को है तैयारी रखो!
    ~ Rahat Indori
  • हिज्र को हौसला और वस्ल को फ़ुर्सत दरकार;</br>
एक मोहब्बत के लिए एक जवानी कम है!</br></br>
*हिज्र: जुदाई</br>
*वस्ल: मिलन</br>
*दरकार: आवश्यकताUpload to Facebook
    हिज्र को हौसला और वस्ल को फ़ुर्सत दरकार;
    एक मोहब्बत के लिए एक जवानी कम है!

    *हिज्र: जुदाई
    *वस्ल: मिलन
    *दरकार: आवश्यकता
    ~ Abbas Tabish
  • गाहे गाहे की मुलाक़ात ही अच्छी है 'अमीर';</br>
क़द्र खो देता है हर रोज़ का आना जाना!</br></br>
*गाहे: कभीUpload to Facebook
    गाहे गाहे की मुलाक़ात ही अच्छी है 'अमीर';
    क़द्र खो देता है हर रोज़ का आना जाना!

    *गाहे: कभी
    ~ Ameer Minai
  • भीड़ तन्हाइयों का मेला है;</br>
आदमी आदमी अकेला है!Upload to Facebook
    भीड़ तन्हाइयों का मेला है;
    आदमी आदमी अकेला है!
    ~ Saba Akbarabadi
  • मिट्टी ख़राब है तेरे कूचे में वर्ना हम;</br>
अब तक तो जिस ज़मीं पे रहे आसमाँ रहे!Upload to Facebook
    मिट्टी ख़राब है तेरे कूचे में वर्ना हम;
    अब तक तो जिस ज़मीं पे रहे आसमाँ रहे!
    ~ Anwar Dehlvi