अभी राह में कई मोड़ है कोई आएगा कोई जाएगा; तुम्हें जिस ने दिल से भुला दिया उसे भूलने की दुआ करो! |
जिन्हें हम देख कर जीते थे 'नासिर'; वो लोग आँखों से ओझल हो गए हैं! |
उस को जुदा हुए भी ज़माना बहुत हुआ; अब क्या कहें ये क़िस्सा भी पुराना बहुत हुआ! |
तुम मुझे छोड़ के जाओगे तो मर जाऊँगा; यूँ करो जाने से पहले मुझे पागल कर दो! |
कैसे कह दूँ कि मुलाक़ात नहीं होती है; रोज़ मिलते हैं मगर बात नहीं होती है! |
ख़्वाब की तरह बिखर जाने को जी चाहता है; ऐसी तन्हाई कि मर जाने को जी चाहता है!x |
हो जाएगी जब तुम से शनासाई ज़रा और; बढ़ जाएगी शायद मेरी तन्हाई ज़रा और! |
ये कैफ़ियत है मेरी जान अब तुझे खो कर; कि हम ने ख़ुद को भी पाया नहीं बहुत दिन से! |
रौशनी को तीरगी का क़हर बन कर ले गया; आँख में महफ़ूज़ थे जितने भी मंज़र ले गया! * तीरगी- अँधेरा |
अभी हिज्र दामन में उतरा नहीं है; मगर वस्ल का भी तो चर्चा नहीं है! *हिज्र- जुदाई |