Hindi Shayari

  • नया एक रिश्ता पैदा क्यों करें हम,</br>
बिछड़ना है तो झगड़ा क्यों करें हम;</br>
ख़मोशी से अदा हो रस्म-ए-दूरी,</br>
कोई हंगामा बरपा क्यों करें हम!</br></br>
*बरपा: होनाUpload to Facebook
    नया एक रिश्ता पैदा क्यों करें हम,
    बिछड़ना है तो झगड़ा क्यों करें हम;
    ख़मोशी से अदा हो रस्म-ए-दूरी,
    कोई हंगामा बरपा क्यों करें हम!

    *बरपा: होना
    ~ Jaun Elia
  • अब तो चुप-चाप शाम आती है;</br>
पहले चिड़ियों के शोर होते थे!Upload to Facebook
    अब तो चुप-चाप शाम आती है;
    पहले चिड़ियों के शोर होते थे!
    ~ Mohammed Alvi
  • वो सादगी में भी है अजब दिलकशी लिए;</br>
इस वास्ते हम उस की तमन्ना में जी लिए!Upload to Facebook
    वो सादगी में भी है अजब दिलकशी लिए;
    इस वास्ते हम उस की तमन्ना में जी लिए!
    ~ Junaid Hazin Lari
  • सुना है लोग उसे आँख भर के देखते हैं,</br>
सो उस के शहर में कुछ दिन ठहर के देखते हैं;</br>
सुना है रब्त है उस को ख़राब-हालों से,</br>
सो अपने आप को बरबाद कर के देखते हैं!</br></br>
*रब्त: लगाव</br>
*ख़राब-हालों: जिनकी हालत खराब हैUpload to Facebook
    सुना है लोग उसे आँख भर के देखते हैं,
    सो उस के शहर में कुछ दिन ठहर के देखते हैं;
    सुना है रब्त है उस को ख़राब-हालों से,
    सो अपने आप को बरबाद कर के देखते हैं!

    *रब्त: लगाव
    *ख़राब-हालों: जिनकी हालत खराब है
    ~ Ahmad Faraz
  • वो ज़हर देता तो सब की निगह में आ जाता;</br>
सो ये किया कि मुझे वक़्त पे दवाएँ न दीं!Upload to Facebook
    वो ज़हर देता तो सब की निगह में आ जाता;
    सो ये किया कि मुझे वक़्त पे दवाएँ न दीं!
    ~ Akhtar Nazmi
  • जब से छूटा है गुलिस्ताँ हम से;</br>
रोज़ सुनते हैं बहार आई है!</br></br>
*गुलिस्ताँ: फूलों का बगीचाUpload to Facebook
    जब से छूटा है गुलिस्ताँ हम से;
    रोज़ सुनते हैं बहार आई है!

    *गुलिस्ताँ: फूलों का बगीचा
    ~ Jaleel Manikpuri
  • परेशाँ रात सारी है सितारो तुम तो सो जाओ,</br>
सुकूत-ए-मर्ग तारी है सितारो तुम तो सो जाओ;</br>
हँसो और हँसते हँसते डूबते जाओ ख़लाओं में,</br>
हमीं पे रात भारी है सितारो तुम तो सो जाओ!</br></br>
*सुकूत-ए-मर्ग: मौत की चुप्पी</br>
*ख़लाओं: आकाशUpload to Facebook
    परेशाँ रात सारी है सितारो तुम तो सो जाओ,
    सुकूत-ए-मर्ग तारी है सितारो तुम तो सो जाओ;
    हँसो और हँसते हँसते डूबते जाओ ख़लाओं में,
    हमीं पे रात भारी है सितारो तुम तो सो जाओ!

    *सुकूत-ए-मर्ग: मौत की चुप्पी
    *ख़लाओं: आकाश
    ~ Qateel Shifai
  • ये इल्म का सौदा ये रिसाले ये किताबें;<br/>
इक शख़्स की यादों को भुलाने के लिए हैं!<br/>
*इल्म: ज्ञान<br/>
*रिसाले: पत्रिकाओंUpload to Facebook
    ये इल्म का सौदा ये रिसाले ये किताबें;
    इक शख़्स की यादों को भुलाने के लिए हैं!
    *इल्म: ज्ञान
    *रिसाले: पत्रिकाओं
    ~ Jaan Nisar Akhtar
  • हमारी ही तमन्ना क्यों करो तुम;<br/>
तुम्हारी ही तमन्ना क्यों करें हम!Upload to Facebook
    हमारी ही तमन्ना क्यों करो तुम;
    तुम्हारी ही तमन्ना क्यों करें हम!
    ~ Jaun Elia
  • चाहिए क्या तुम्हें तोहफ़े में बता दो वर्ना;<br/>
हम तो बाज़ार के बाज़ार उठा लाएँगे!Upload to Facebook
    चाहिए क्या तुम्हें तोहफ़े में बता दो वर्ना;
    हम तो बाज़ार के बाज़ार उठा लाएँगे!
    ~ Ata Turab