Hindi Shayari

  • मुझे ज़िंदगी की दुआ देने वाले;</br>
हँसी आ रही है तेरी सादगी पर!Upload to Facebook
    मुझे ज़िंदगी की दुआ देने वाले;
    हँसी आ रही है तेरी सादगी पर!
    ~ Gopal Mittal
  • वो जिस घमंड से बिछड़ा गिला तो इस का है;</br>
कि सारी बात मोहब्बत में रख-रखाव की थी!Upload to Facebook
    वो जिस घमंड से बिछड़ा गिला तो इस का है;
    कि सारी बात मोहब्बत में रख-रखाव की थी!
    ~ Ahmad Faraz
  • किस किस तरह की दिल में गुज़रती हैं हसरतें;</br>
है वस्ल से ज़्यादा मज़ा इंतज़ार का!</br></br>
*वस्ल: मिलनUpload to Facebook
    किस किस तरह की दिल में गुज़रती हैं हसरतें;
    है वस्ल से ज़्यादा मज़ा इंतज़ार का!

    *वस्ल: मिलन
    ~ Taban Abdul Hai
  • प्यास बढ़ती जा रही है बहता दरिया देख कर;</br>
भागती जाती हैं लहरें ये तमाशा देख कर!Upload to Facebook
    प्यास बढ़ती जा रही है बहता दरिया देख कर;
    भागती जाती हैं लहरें ये तमाशा देख कर!
    ~ Saqi Faruqi
  • तेरी बख़्शिश के भरोसे पे ख़ताएँ की हैं;</br>
तेरी रहमत के सहारे ने गुनहगार किया!Upload to Facebook
    तेरी बख़्शिश के भरोसे पे ख़ताएँ की हैं;
    तेरी रहमत के सहारे ने गुनहगार किया!
    ~ Mubarak Azimabadi
  • ख़फ़ा हैं फिर भी आ कर छेड़ जाते हैं तसव्वुर में;</br>
हमारे हाल पर कुछ मेहरबानी अब भी होती है!</br></br>
*तसव्वुर: कल्पनाUpload to Facebook
    ख़फ़ा हैं फिर भी आ कर छेड़ जाते हैं तसव्वुर में;
    हमारे हाल पर कुछ मेहरबानी अब भी होती है!

    *तसव्वुर: कल्पना
    ~ Akhtar Sheerani
  • हमें तो ख़ैर बिखरना ही था कभी न कभी;</br>
हवा-ए-ताज़ा का झोंका बहाना हो गया है!Upload to Facebook
    हमें तो ख़ैर बिखरना ही था कभी न कभी;
    हवा-ए-ताज़ा का झोंका बहाना हो गया है!
    ~ Irfan Siddiqi
  • यही है ज़िंदगी अपनी यही है बंदगी अपनी;</br>
कि उन का नाम आया और गर्दन झुक गयी अपनी!Upload to Facebook
    यही है ज़िंदगी अपनी यही है बंदगी अपनी;
    कि उन का नाम आया और गर्दन झुक गयी अपनी!
  • कभी तो दैर-ओ-हरम से तू आएगा वापस;</br>
मैं मय-कदे में तेरा इंतज़ार कर लूँगा!</br></br>
*मय-कदे: शराब पीने का स्थान, मदिरालयUpload to Facebook
    कभी तो दैर-ओ-हरम से तू आएगा वापस;
    मैं मय-कदे में तेरा इंतज़ार कर लूँगा!

    *मय-कदे: शराब पीने का स्थान, मदिरालय
    ~ Abdul Hameed Adam
  • अब आ गयी है सहर अपना घर सँभालने को;</br>
चलूँ कि जागा हुआ रात भर का मैं भी हूँ!Upload to Facebook
    अब आ गयी है सहर अपना घर सँभालने को;
    चलूँ कि जागा हुआ रात भर का मैं भी हूँ!
    ~ Irfan Siddiqi