Hindi Shayari

  • मैं क्या करूँ मेरे क़ातिल न चाहने पर भी,</br>
तेरे लिए मेरे दिल से दुआ निकलती है!Upload to Facebook
    मैं क्या करूँ मेरे क़ातिल न चाहने पर भी,
    तेरे लिए मेरे दिल से दुआ निकलती है!
    ~ Ahmad Faraz
  • कौन बदन से आगे देखे औरत को;</br>
सब की आँखें गिरवी हैं इस नगरी में!Upload to Facebook
    कौन बदन से आगे देखे औरत को;
    सब की आँखें गिरवी हैं इस नगरी में!
  • मोहब्बत ही में मिलते हैं शिकायत के मज़े पैहम;</br>
मोहब्बत जितनी बढ़ती है शिकायत होती जाती है!</br></br>
*पैहम: लगातारUpload to Facebook
    मोहब्बत ही में मिलते हैं शिकायत के मज़े पैहम;
    मोहब्बत जितनी बढ़ती है शिकायत होती जाती है!

    *पैहम: लगातार
    ~ Shakeel Badayuni
  • इस ज़िंदगी में इतनी फ़राग़त किसे नसीब;</br>
इतना न याद आ कि तुझे भूल जाएँ हम!</br></br>
*फ़राग़त: आराम
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    इस ज़िंदगी में इतनी फ़राग़त किसे नसीब;
    इतना न याद आ कि तुझे भूल जाएँ हम!

    *फ़राग़त: आराम
    ~ Ahmad Faraz
  • शमा जिस आग में जलती है नुमाइश के लिए;</br>
हम उसी आग में गुम-नाम से जल जाते हैं!</br></br>
*शमा: मोमबत्तीUpload to Facebook
    शमा जिस आग में जलती है नुमाइश के लिए;
    हम उसी आग में गुम-नाम से जल जाते हैं!

    *शमा: मोमबत्ती
    ~ Qateel Shifai
  • अदा आई जफ़ा आई ग़ुरूर आया हिजाब आया;</br>
हज़ारों आफ़तें ले कर हसीनों पर शबाब आया!Upload to Facebook
    अदा आई जफ़ा आई ग़ुरूर आया हिजाब आया;
    हज़ारों आफ़तें ले कर हसीनों पर शबाब आया!
    ~ Nooh Narvi
  • ऐ सनम जिसने तुझे चाँद सी सूरत दी है;</br>
उसी अल्लाह ने मुझ को भी मोहब्बत दी है!Upload to Facebook
    ऐ सनम जिसने तुझे चाँद सी सूरत दी है;
    उसी अल्लाह ने मुझ को भी मोहब्बत दी है!
    ~ Aatish Haidar Ali
  • एक मंज़िल है मगर राह कई हैं 'अज़हर';</br>
सोचना ये है कि जाओगे किधर से पहले!Upload to Facebook
    एक मंज़िल है मगर राह कई हैं 'अज़हर';
    सोचना ये है कि जाओगे किधर से पहले!
    ~ Azhar Lakhnawi
  • कोई ख़ामोश ज़ख़्म लगती है;</br>
ज़िंदगी एक नज़्म लगती है!</br></br>
*नज़्म: कविताUpload to Facebook
    कोई ख़ामोश ज़ख़्म लगती है;
    ज़िंदगी एक नज़्म लगती है!

    *नज़्म: कविता
    ~ Gulzar
  • बरसात के आते ही तौबा न रही बाक़ी;</br>
बादल जो नज़र आए बदली मेरी नीयत भी!Upload to Facebook
    बरसात के आते ही तौबा न रही बाक़ी;
    बादल जो नज़र आए बदली मेरी नीयत भी!
    ~ Hasrat Mohani